व्यक्ति विशेष समसामियिकी 1 (9-Aug-2020)^पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya)
Posted on August 9th, 2020
पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश में हुआ था।इन्हें उन्हें ‘झंडा वेंकैया‘ के नाम से भी जाना जाता है।
पिंगली वेंकैया एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अभिकल्पक (Designer) थे। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज, इनके द्वारा तैयार किये गए प्रारूप पर आधारित है।द्वितीय बोअर युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में वेंकैया की पहली बार महात्मा गांधी से मुलाकात हुई। उस समय पिंगली ब्रिटिश सेना में शामिल थे।वर्ष 1918 से 1921 के मध्य, वेंकैया, कांग्रेस के प्रत्येक सत्र में भारत का एक धवज होने का मुद्दा उठाते रहे। उस समय, वह मछलीपट्टनम में आंध्र नेशनल कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में अध्यापन कार्य कर रहे थे।
उन्होंने महात्मा गांधी से विजयवाड़ा में पुनः मुलाकात की और उन्हें अपने द्वारा तैयार किये गए ध्वज की विभिन्न डिजाइनों को दिखाया। गांधी जी ने राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, वेंकय्या से वर्ष 1921 में राष्ट्रीय कांग्रेस के होने वाले सम्मलेन के लिए ध्वज की एक नयी डिजाइन तैयार करने के लिए कहा।प्रारंभ में, वेंकय्या द्वारा तैयार किये गए ध्वज के प्रारंभिक स्वरूप में भगवा और हरे रंग की दो पट्टियाँ थी, बाद में इसमें एक सफ़ेद रंग की पट्टी तथा इसके केंद्र में चरखा की आकृति को जोड़ा गया। (ध्वज के मध्य में चरखे का सुझाव लाला हंसराज ने दिया था- यह भारतीयों की आत्मनिर्भरता का प्रतीक के रूप में माना गया था।)इस ध्वज को आधिकारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1931 में अपनाया गया था।
व्यक्ति विशेष समसामियिकी 1 (9-Aug-2020)पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya)
पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश में हुआ था।इन्हें उन्हें ‘झंडा वेंकैया‘ के नाम से भी जाना जाता है।
पिंगली वेंकैया एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अभिकल्पक (Designer) थे। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज, इनके द्वारा तैयार किये गए प्रारूप पर आधारित है।द्वितीय बोअर युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में वेंकैया की पहली बार महात्मा गांधी से मुलाकात हुई। उस समय पिंगली ब्रिटिश सेना में शामिल थे।वर्ष 1918 से 1921 के मध्य, वेंकैया, कांग्रेस के प्रत्येक सत्र में भारत का एक धवज होने का मुद्दा उठाते रहे। उस समय, वह मछलीपट्टनम में आंध्र नेशनल कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में अध्यापन कार्य कर रहे थे।
उन्होंने महात्मा गांधी से विजयवाड़ा में पुनः मुलाकात की और उन्हें अपने द्वारा तैयार किये गए ध्वज की विभिन्न डिजाइनों को दिखाया। गांधी जी ने राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, वेंकय्या से वर्ष 1921 में राष्ट्रीय कांग्रेस के होने वाले सम्मलेन के लिए ध्वज की एक नयी डिजाइन तैयार करने के लिए कहा।प्रारंभ में, वेंकय्या द्वारा तैयार किये गए ध्वज के प्रारंभिक स्वरूप में भगवा और हरे रंग की दो पट्टियाँ थी, बाद में इसमें एक सफ़ेद रंग की पट्टी तथा इसके केंद्र में चरखा की आकृति को जोड़ा गया। (ध्वज के मध्य में चरखे का सुझाव लाला हंसराज ने दिया था- यह भारतीयों की आत्मनिर्भरता का प्रतीक के रूप में माना गया था।)इस ध्वज को आधिकारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1931 में अपनाया गया था।