पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 3 (8-June-2021)
तुर्की में ‘सी स्‍नॉट’ का प्रकोप
(Outbreak of 'Sea Snot' in Turkey)

Posted on June 8th, 2021 | Create PDF File

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काला सागर को एजियन सागर से जोड़ने वाले तुर्की के मरमारा सागर में ‘सी स्‍नॉट’ (Sea Snot) का सबसे बड़ा प्रकोप देखा जा रहा है।

 

इस चिपचिपे पदार्थ को निकटवर्ती ‘काले सागर (ब्लैक सी) और एजियन सागर में भी देखा गया है।

 

‘सी स्‍नॉट’ :

 

यह धूसर या हरे रंग की कीचड़ / पंक की एक चिपचिपी परत होती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को काफी नुकसान पहुंच सकता है।

 

यह, शैवालों में पोषक तत्वों की अति-प्रचुरता हो जाने पर निर्मित होती है।

 

तुर्की में ‘सी स्‍नॉट’ का प्रकोप पहली बार वर्ष 2007 में दर्ज किया गया था। उसी समय, ग्रीस के नजदीक एजियन सागर में भी ‘सी स्‍नॉट’ को देखा गया था।

 

शैवालों में पोषक तत्वों की अति-प्रचुरता, का कारण मुख्यतः वैश्विक उष्मन, जल प्रदूषण, घरेलू और औद्योगिक कचरे के समुद्र में अनियंत्रित निर्मोचन, आदि की वजह से होने वाला गर्म मौसम होता है।

 

प्रभाव एवं चिंताएं:

 

‘सी स्‍नॉट’, समुद्र से होती हुई इस्तांबुल के दक्षिण में फ़ैल चुकी है, और इसने शहर के किनारे समुद्र तटों और बंदरगाहों को ढँक लिया है।

 

इसकी वजह से देश के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है- ‘सी स्‍नॉट’ के कारण बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो चुकी है, तथा मूंगा (कोरल) और स्पंज जैसे अन्य जलीय जीव भी मरते जा रहे हैं।

 

अगर इसे अनियंत्रित किया गया, तो यह समुद्री सतह के नीचे पहुँच कर समुद्र तल को ढक सकती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए व्यापक क्षति हो सकती है।

 

समय के साथ, यह मछलियों, केकड़ों, सीप (oysters), कौड़ी या मसल्स (mussels) और समुद्री सितारा मछलियों सहित सभी जलीय जीवों को विषाक्त बना सकती है।

 

जलीय जीवन के अलावा, ‘सी स्‍नॉट’ के प्रकोप से मछुआरों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।

 

इससे इस्तांबुल जैसे शहरों में हैजा जैसी जल-जनित बीमारियों का प्रकोप भी फ़ैल सकता है।

 

इसके प्रसार को रोकने हेतु तुर्की द्वारा उठाए जा रहे कदम:

तुर्की ने संपूर्ण मरमरा सागर को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने का फैसला किया है।

 

तटीय शहरों और जहाजों से होने वाले प्रदूषण को कम करने और अपशिष्ट जल-उपचार में सुधार हेतु कदम उठाए जा रहे हैं।

 

आपदा प्रबंधन योजना तैयार की जा रही है।