राष्ट्रीय समसामयिकी 1(14-May-2022)
मुख्य निर्वाचन आयुक्त
(Chief Election Commissioner)

Posted on May 15th, 2022 | Create PDF File

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‘भारत निर्वाचन आयोग’ (Election commission of India), एक स्‍वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ एवं राज्‍य निर्वाचन प्रक्रियाओं का संचालन करने के लिए उत्तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं, देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है।

 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत, संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए संचालन, निर्देशन व नियंत्रण तथा निर्वाचक मतदाता सूची तैयार कराने के लिए निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।

 

संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना , 25 जनवरी 1950 को की गई थी। इसीलिए, 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

भारत निर्वाचन आयोग की संरचना :

 

संविधान में चुनाव आयोग की संरचना के संबंध में निम्नलिखित उपबंध किये गए हैं:

 

निर्वाचन आयोग, मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य आयुक्तों से मिलकर बनेगा।

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जायेगी।

 

जब कोई अन्य निर्वाचन आयुक्त इस प्रकार नियुक्त किया जाता है तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।

 

राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सहायता के लिए आवश्यक समझने पर, निर्वाचन आयोग की सलाह से प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है।

 

निर्वाचन आयुक्तों और प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा शर्तें तथा पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जायेंगी।

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त (EC) :

 

यद्यपि मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष होते हैं, फिर भी उनकी शक्तियाँ अन्य निर्वाचन आयुक्तों के सामान ही होती हैं। आयोग के सभी मामले, सदस्यों के बीच बहुमत से तय किए जाते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य दोनो निर्वाचन आयुक्तों को एक-समान वेतन, भत्ते व अन्य अनुलाभ प्राप्त होते हैं।

 

पदावधि :

मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल छह वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक होता है। वे राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं।

 

पदत्याग :

 

निर्वाचन आयुक्त, किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है।

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से व उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है, जिन पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है।

 

सीमाएं :

 

संविधान में, निर्वाचन आयोग के सदस्यों के लिए कोई योग्यता (कानूनी, शैक्षिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई है।

 

संविधान में, सेवानिवृत्त होने वाले निर्वाचन आयुक्तों को सरकार द्वारा, दोबारा किसी भी पद पर की जाने वाली नियुक्ति से प्रतिबंधित नहीं किया गया है।