दिवस विशेष समसामयिकी 1(2-Dec-2022)^राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस^(National Pollution Control Day)
Posted on December 2nd, 2022
भारत में प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य औद्योगिक आपदाओं के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर जागरूकता फैलाना और औद्योगिक अथवा मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना है।
यह दिवस उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गँवा दी थी।
दरअसल 2 दिसंबर, 1984 की रात को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (मौजूदा नाम-डाउ केमिकल्स) के प्लांट से ‘मिथाइल आइसोसाइनाइट’ (Methyl Isocyanate) गैस का रिसाव हुआ था, जिसने भोपाल शहर को एक विशाल गैस चैंबर में परिवर्तित कर दिया था।
कम-से-कम 30 टन मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस के रिसाव के कारण तकरीबन 15,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और लाखों लोग इस भयावह त्रासदी से प्रभावित हुए थे।
यही कारण है कि भोपाल गैस त्रासदी को विश्व में सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक माना जाता है।
भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।
दिवस विशेष समसामयिकी 1(2-Dec-2022)राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस(National Pollution Control Day)
भारत में प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य औद्योगिक आपदाओं के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर जागरूकता फैलाना और औद्योगिक अथवा मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना है।
यह दिवस उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गँवा दी थी।
दरअसल 2 दिसंबर, 1984 की रात को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (मौजूदा नाम-डाउ केमिकल्स) के प्लांट से ‘मिथाइल आइसोसाइनाइट’ (Methyl Isocyanate) गैस का रिसाव हुआ था, जिसने भोपाल शहर को एक विशाल गैस चैंबर में परिवर्तित कर दिया था।
कम-से-कम 30 टन मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस के रिसाव के कारण तकरीबन 15,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और लाखों लोग इस भयावह त्रासदी से प्रभावित हुए थे।
यही कारण है कि भोपाल गैस त्रासदी को विश्व में सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक माना जाता है।
भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।