कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (5-Aug-2020)^अयोध्या के श्रीराम मंदिर की नागर वास्तुकला (Nagara Architecture of Ayodhya’s Shri Ram Mandir)
Posted on August 5th, 2020
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण मंदिर वास्तुकला की नागर शैली के अनुसार किया जायेगा।मंदिर वास्तुकला की नागर शैली उत्तर भारत में पाई जाती है।नागर शैली में मंदिरों का निर्माण मुख्यतः ऊँची वेदी (मंच/चबुतरा) पर किया जाता है, जिसे जगती (Jagati) कहा जाता है। इन मंदिरों में गर्भगृह के सामने मंडपों का निर्माण किया जाता है।गर्भगृह तथा मंडपों के उपर शिखर स्थापित किये जाते है, गर्भगृह के उपर का शिखर सबसे ऊँचा होता है।नागर शैली में आमतौर पर विस्तृत चाहरदीवारी अथवा प्रवेश द्वार नहीं होते हैं।गर्भगृह के चारों ओर एक रिक्त स्थान होता है जो प्रदक्षिणा पथ कहलाता है, जो प्रायः ढका हुआ होता है।
हिंदू मंदिर के मूल रूप में सामान्यतया निम्नलिखित वास्तु रचनाएँ सम्मिलित होती हैं:
* गर्भगृह – यह मंदिर का वह छोटा कक्ष होता है जिसमे मंदिर के मुख्य देवी / देवता निवास करते हैं।
* मंडप – मंदिर के प्रवेश द्वार के समीप एक हालनुमा कक्ष होता है, जिसे प्रायः बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न कार्य करने हेतु बनाया जाता है।
* शिखर – यह पर्वत की चोटी के समान रचना होती है, जिसे प्रायः गर्भगृह के ऊपर स्थापित किया जाता है, यह आकार में पिरामिड की आकृति से लेकर वक्राकार तक विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।
* वाहन – यह मुख्य देवता की वाहन होता है, जिसे सामान्यतः गर्भगृह की सीध में स्थापति किया जाता है।
नागर शैली की उप-शैलियाँ-
नागर शैली को विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर ओडिशा, खजुराहो, सोलंकी आदि प्रकार की उप-शैलियों में विभाजित किया गया है।
कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (5-Aug-2020)अयोध्या के श्रीराम मंदिर की नागर वास्तुकला (Nagara Architecture of Ayodhya’s Shri Ram Mandir)
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण मंदिर वास्तुकला की नागर शैली के अनुसार किया जायेगा।मंदिर वास्तुकला की नागर शैली उत्तर भारत में पाई जाती है।नागर शैली में मंदिरों का निर्माण मुख्यतः ऊँची वेदी (मंच/चबुतरा) पर किया जाता है, जिसे जगती (Jagati) कहा जाता है। इन मंदिरों में गर्भगृह के सामने मंडपों का निर्माण किया जाता है।गर्भगृह तथा मंडपों के उपर शिखर स्थापित किये जाते है, गर्भगृह के उपर का शिखर सबसे ऊँचा होता है।नागर शैली में आमतौर पर विस्तृत चाहरदीवारी अथवा प्रवेश द्वार नहीं होते हैं।गर्भगृह के चारों ओर एक रिक्त स्थान होता है जो प्रदक्षिणा पथ कहलाता है, जो प्रायः ढका हुआ होता है।
हिंदू मंदिर के मूल रूप में सामान्यतया निम्नलिखित वास्तु रचनाएँ सम्मिलित होती हैं:
* गर्भगृह – यह मंदिर का वह छोटा कक्ष होता है जिसमे मंदिर के मुख्य देवी / देवता निवास करते हैं।
* मंडप – मंदिर के प्रवेश द्वार के समीप एक हालनुमा कक्ष होता है, जिसे प्रायः बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न कार्य करने हेतु बनाया जाता है।
* शिखर – यह पर्वत की चोटी के समान रचना होती है, जिसे प्रायः गर्भगृह के ऊपर स्थापित किया जाता है, यह आकार में पिरामिड की आकृति से लेकर वक्राकार तक विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।
* वाहन – यह मुख्य देवता की वाहन होता है, जिसे सामान्यतः गर्भगृह की सीध में स्थापति किया जाता है।
नागर शैली की उप-शैलियाँ-
नागर शैली को विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर ओडिशा, खजुराहो, सोलंकी आदि प्रकार की उप-शैलियों में विभाजित किया गया है।