पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (21-Feb-2021)^मंदारिन बतख ^(Mandarin Duck)
Posted on February 21st, 2021
हाल ही में असम के तिनसुकिया ज़िले में मगुरी-मोटापुंग बील में एक सदी के बाद मंदारिन बतख (Mandarin Duck) देखी गई है।
वैज्ञानिक नाम: एक्स गलेरीक्युलेटा (Aix galericulata)
मंदारिन बतख की पहचान सबसे पहले वर्ष 1758 में स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और प्राणी विज्ञानी कार्ल लिनिअस (Carl Linnaeus) ने की थी।इसे दुनिया की सबसे सुंदर बतख माना जाता है।नर मंदारिन की पीठ और गर्दन के पास विस्तृत नारंगी, रंगीन पंख होते हैं। नर मंदारिन अत्यधिक सुंदर होता है। मादा बतख नर मंदारिन की तुलना में कम सुंदर होती है, मादा मंदारिन के सिर का रंग ‘ग्रे’, भूरी पीठ और सफेद आँखें होती हैं।ये पक्षी बीज, बलूत, छोटे फल, कीड़े, घोंघे और छोटी मछलियों को खा सकते हैं।ये पक्षी नदियों, धाराओं, पंक, कच्छ भूमि और मीठे पानी की झीलों सहित आर्द्रभूमि के समीप समशीतोष्ण वनों में निवास करते हैं।यह पक्षी पूर्वी एशिया का मूल निवासी है लेकिन पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में भी पाया जाता है।यह रूस, कोरिया, जापान और चीन के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में प्रजनन करती है।
ये बतख कभी-कभी ही भारत में आते हैं क्योंकि भारत उनके प्रवास मार्ग में नहीं आता है।इस पक्षी को वर्ष 1902 में तिनसुकिया (असम) में रोंगागोरा क्षेत्र में डिब्रू नदी में देखा गया था।इस बतख को वर्ष 2013 में मणिपुर की लोकटक झील में देखा गया तथा वर्ष 2014 में असम के बक्सा ज़िले में स्थित टाइगर रिज़र्व और मानस नेशनल पार्क में स्थित सातावोनी बील में देखा गया।
IUCN रेड लिस्ट: कम संकटग्रस्त
मगुरी-मोटापुंग बील-
मगुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा घोषित एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र है जो ऊपरी असम में डिब्रू सिखोवा नेशनल पार्क के करीब स्थित है।मई 2020 में ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड’ के स्वामित्व वाले गैस कुएँ में विस्फोट और आग के कारण इस बील पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।इस वजह से हुए तेल के फैलाव से कई मछलियों, साँपों के साथ-साथ लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन की मृत्यु के मामले सामने आए।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (21-Feb-2021)मंदारिन बतख (Mandarin Duck)
हाल ही में असम के तिनसुकिया ज़िले में मगुरी-मोटापुंग बील में एक सदी के बाद मंदारिन बतख (Mandarin Duck) देखी गई है।
वैज्ञानिक नाम: एक्स गलेरीक्युलेटा (Aix galericulata)
मंदारिन बतख की पहचान सबसे पहले वर्ष 1758 में स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और प्राणी विज्ञानी कार्ल लिनिअस (Carl Linnaeus) ने की थी।इसे दुनिया की सबसे सुंदर बतख माना जाता है।नर मंदारिन की पीठ और गर्दन के पास विस्तृत नारंगी, रंगीन पंख होते हैं। नर मंदारिन अत्यधिक सुंदर होता है। मादा बतख नर मंदारिन की तुलना में कम सुंदर होती है, मादा मंदारिन के सिर का रंग ‘ग्रे’, भूरी पीठ और सफेद आँखें होती हैं।ये पक्षी बीज, बलूत, छोटे फल, कीड़े, घोंघे और छोटी मछलियों को खा सकते हैं।ये पक्षी नदियों, धाराओं, पंक, कच्छ भूमि और मीठे पानी की झीलों सहित आर्द्रभूमि के समीप समशीतोष्ण वनों में निवास करते हैं।यह पक्षी पूर्वी एशिया का मूल निवासी है लेकिन पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में भी पाया जाता है।यह रूस, कोरिया, जापान और चीन के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में प्रजनन करती है।
ये बतख कभी-कभी ही भारत में आते हैं क्योंकि भारत उनके प्रवास मार्ग में नहीं आता है।इस पक्षी को वर्ष 1902 में तिनसुकिया (असम) में रोंगागोरा क्षेत्र में डिब्रू नदी में देखा गया था।इस बतख को वर्ष 2013 में मणिपुर की लोकटक झील में देखा गया तथा वर्ष 2014 में असम के बक्सा ज़िले में स्थित टाइगर रिज़र्व और मानस नेशनल पार्क में स्थित सातावोनी बील में देखा गया।
IUCN रेड लिस्ट: कम संकटग्रस्त
मगुरी-मोटापुंग बील-
मगुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा घोषित एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र है जो ऊपरी असम में डिब्रू सिखोवा नेशनल पार्क के करीब स्थित है।मई 2020 में ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड’ के स्वामित्व वाले गैस कुएँ में विस्फोट और आग के कारण इस बील पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।इस वजह से हुए तेल के फैलाव से कई मछलियों, साँपों के साथ-साथ लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन की मृत्यु के मामले सामने आए।