अर्थव्यवस्था समसामियिकी 2 (15-Feb-2019)
दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा वृद्धि बाजार के रूप में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत: बीपी
(India to surpass China as the world's largest energy growth market: BP)

Posted on February 15th, 2019 | Create PDF File

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भारत दुनिया के ऊर्जा क्षेत्र में तीव्र वृद्धि वाले बाजार के रूप में 2020 के मध्य तक चीन को पीछे छोड़ देगा। विश्व की बढ़ती मांग में एक चौथाई से अधिक हिस्सेदारी दक्षिण एशियाई देश की होगी। ब्रिटेन की बड़ी कंपनी बीपी ने सालाना ऊर्जा परिदृश्य में यह कहा गया है।

 

रिपोर्ट में उन अनिश्चितताओं को टटोला गया है जिससे वैश्विक ऊर्जा बाजार पर 2040 तक प्रभाव पड़ सकता है।

 

वर्ष 2019 के संस्करण में कहा गया है, ‘‘इस अवधि की सबसे बड़ी अनिश्चितता निरंतर वैश्विक आर्थिक वृद्धि तथा बढ़ती समृद्धि को समर्थन देने के लिये और ऊर्जा की बढ़ती जरूरत है। इसके अलावा कम कार्बन उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकी अपनाना भी एक चुनौती है। ये परिदृश्य दोहरी चुनौतियों को रेखांकित कर रहे हैं जिसका सामना विश्व कर रहा है।’’

 

रिपोर्ट के अनुसार खासकर भारत, चीन और एशिया के अन्य देशों में जीवन स्तर में सुधार के साथ वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की मांग 2040 तक करीब एक तिहाई बढ़ने का अनुमान है। इसकी आपूर्ति मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस से होगी।

 

अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी तीव्र वृद्धि की उम्मीद है और कुल ऊर्जा में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा 4 प्रतिशत से बढ़कर 2040 तक 15 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।

 

बीपी के अनुसार, ‘‘ऊर्जा मांग वृद्धि भारत और चीन की अगुवाई में तीव्र विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं से होगी...दुनिया में होने वाले उत्पादन में वृद्धि में विकासशील अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक होगी। इसमें चीन और भारत की हिस्सेदारी करीब आधी होगी।’’

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ऊर्जा खपत 2040 तक 156 प्रतिशत बढ़कर 192.8 करोड़ टन तेल समतुल्य हो जाने का अनुमान है जो 2017 में 75.4 करोड़ टन तेल समतुल्य रहने का अनुमान है।

 

वैश्विक स्तर पर ऊर्जा मांग में वृद्धि विकासशील एशिया (भारत, चीन और अन्य एशियाई देश) में केंद्रित होगी। इन देशों में जीवन स्तर में सुधार, समृद्धि में विस्तार से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बढ़ेगी।

 

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चीन आर्थिक वृद्धि के अधिक सतत प्रतिरूप की ओर बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि 2020 के मध्य तक दुनिया के सबसे अधिक वृद्धि वाले बाजार के रूप में भारत, चीन को पीछे छोड़ देगा। उसकी वैश्विक ऊर्जा मांग में वृद्धि में हिस्सेदारी एक चौथाई से अधिक होगी। इसके बावजूद चीन ऊर्जा के लिये बड़ा बाजार बना रहेगा।’’