अर्थव्यवस्था समसामियिकी 4 (6-Feb-2019)
‘शीर्ष कपास उत्पादक’ के रूप में भारत का स्थान खतरे में
(India's position as 'top cotton producer' in danger)

Posted on February 6th, 2019 | Create PDF File

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वर्ष 2018-19 की हालिया अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि भारत प्रतिकूल जलवायु और अपर्याप्त वर्षा की वज़ह से ‘शीर्ष कपास उत्पादक’ होने का अपना स्थान खो देगा। कपास उत्पादन में दूसरे नंबर पर स्थित चीन पिछले कुछ वर्षों के दौरान बेहतर कृषि पद्धतियों की सहायता से अच्छी पैदावार प्राप्त करने में सक्षम रहा है।

 

अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति के अनुसार,भारत के कपास उत्पादन क्षेत्रों में ‘अपर्याप्त वर्षा’ के कारण कुल उत्पादन में 7 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, जबकि चीन का उत्पादन लगभग 1 प्रतिशत बढ़ जाएगा। कपास उगाने योग्य क्षेत्रों में प्रतिकूल जलवायु और जल उपलब्धता न होने की स्थिति के कारण भारत निश्चित रूप से चीन से पीछे हो जाएगा।तेलंगाना और कर्नाटक में स्थिति और खराब है।भारत 2015-16 सीज़न के दौरान कपास उत्पादन में चीन को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष कपास उत्पादक बना था।बदलती जलवायु की वज़ह से भारत कपास उत्पादन गिरता जा रहा है क्योंकि कपास उत्पादन योग्य क्षेत्र का लगभग 77 प्रतिशत हिस्सा गैर-सिंचित है और यह क्षेत्र बारिश पर अत्यधिक निर्भर रहता है।

 

वैश्विक आँकड़ों के अनुसार, 2018-19 सत्र की अगस्त-दिसंबर अवधि के लिये भारत का कपास उत्पादन 5.98 मिलियन टन रहने का अनुमान है।भारत के सर्वोच्च कपास व्यापार निकाय, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, वर्ष 2018-19 के लिये भारत का कपास उत्पादन 335 लाख गाँठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) तक कम हो जाएगा, जो 2010-11 के 332.25 लाख गाँठ के बाद से सबसे कम है।

 

एक तरफ जहाँ भारत की अनुमानित कपास उपज लगभग 483-500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, वहीं चीन की उपज लगभग 1,755 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।हालाँकि सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च के निदेशक के अनुसार, अच्छी खेती के तरीकों पर किसानों के बीच जागरूकता की कमी भी कम पैदावार की एक वज़ह है। क्योंकि प्रति हेक्टेयर 1,200-1,500 किलोग्राम तक की कपास उपज कुछ विकट परिस्थितियों में भी हासिल की जा चुकी है। बेहतर कृषि प्रबंधन से ही उत्पादकता में सुधार आता है।

 

अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति-

 

अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति कपास का उत्पादन, खपत और व्यापार करने वाले सदस्य देशों का एक संघ है। इसका मुख्यालय वाशिंगटन DC, अमेरिका में है।भारत 1939 से इस समूह के 27 सदस्यों में से एक है।