अन्तर्राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (18-Sept-2020)
गिलगित-बाल्टिस्तान
(Gilgit-Baltistan)

Posted on September 18th, 2020 | Create PDF File

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पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान के दर्जे को बढ़ाकर इसे एक पूर्ण प्रांत बनाने का फैसला किया है।भारत पहले ही पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में यह बता चुका है कि संपूर्ण केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर, लद्दाख तथा गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र, राज्य-विलय के वैधानिक और अखण्डनीय प्रावधानों के अनुसार, भारत के अभिन्न अंग हैं।

 

वर्ष 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान एक ‘प्रांतीय स्वायत्त क्षेत्र’ (Provincial Autonomous Region) के रूप में प्रशासित हो रहा है।वर्तमान में यह क्षेत्र पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित है।

 

 

पाकिस्तान सरकार में कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्री अली अमीन के मुताबिक सभी हितधारकों से विमर्श के बाद संघ सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को संवैधानिक अधिकार देने का फैसला किया है, इसके साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली समेत सभी संवैधानिक निकायों में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्त्व दिया जाएगा। विदित हो कि पाकिस्तान सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।वहीं भारत के कई अवसरों पर पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर कहा है कि कानूनी तौर पर संपूर्ण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग हैं और इस लिहाज़ से पाकिस्तान को इनकी स्थिति में बदलाव का कोई अधिकार नहीं है।

 

 

गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पश्चिमी में स्थित अत्यधिक ऊँचाई वाला एक पहाड़ी क्षेत्र है। यह क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का एक हिस्सा था, किंतु वर्ष 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना के आक्रमण के बाद से यह क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रण में है।पाकिस्तान के नियंत्रण में आने के बाद इस क्षेत्र को उत्तरी (शुमाली) इलाका अर्थात् नॉर्दन एरियाज़ कहा गया और इसे इस्लामाबाद के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा गया। पाक अधिकृत कश्मीर (POK) और गिलगित-बाल्टिस्तान दोनों अलग-अलग इलाके हैं, जबकि भारत इन्हें जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा मानता है। अगस्त 2009 में पाकिस्तानी सरकार द्वारा इस उत्तरी इलाके के लिये ‘गिलगित-बाल्टिस्तान सशक्तीकरण और स्वशासन आदेश’ लागू किया गया और इसके पश्चात् इस क्षेत्र को गिलगित-बाल्टिस्तान के रूप में जाना जाने लगा।

 

वर्तमान में बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध, पाकिस्तान के चार प्रांत हैं, इस प्रकार यदि गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण प्रांत बनाने की घोषणा की जाती है तो यह पाकिस्तान का 5वाँ प्रांत होगा।इस क्षेत्र के महत्त्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) इसी इलाके से होकर बनाया जा रहा है और चूँकि यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित है कि, इसलिये भविष्य में इस परियोजना के समक्ष समस्याएँ आ सकती हैं।किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचने के लिये पाकिस्तान इस क्षेत्र को पूर्ण प्रांत का दर्जा देना चाहता है, क्योंकि इससे इस क्षेत्र पर पाकिस्तान की कानूनी स्थिति और मज़बूत हो जाएगी। भारत के लिये चिंता का विषय यह है कि गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से लगा हुआ है और अपनी भौगोलिक स्थिति की वज़ह से यह भारत के लिये सामरिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है।

 

गिलगित-बाल्टिस्तान, उत्तर में चीन, पश्चिम में अफगानिस्तान, और दक्षिण पूर्व में कश्मीर के साथ सीमा बनाता है।यह पाक-अधिकृत कश्मीर के साथ एक भौगोलिक सीमा साझा करता है, तथा भारत इसे अविभाजित जम्मू और कश्मीर का हिस्सा मानता है, जबकि पाकिस्तान इस क्षेत्र को पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) से अलग मानता है।

 


गिलगित-बाल्टिस्तान भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है, हालाँकि ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा है, किंतु पाकिस्तान ने इस क्षेत्र की स्थिति पर पूर्णतः अस्पष्टता बना रखी है, आवश्यक है कि इस क्षेत्र की कानूनी स्थिति में कोई भी बदलाव करने से पूर्व इससे संबंधित क्षेत्रीय विवाद को हल किया जाए, इस क्रम में कूटनीतिक मंच का प्रयोग किया जा सकता है, हालाँकि यहाँ भी गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्त्व सुनिश्चित करना आवश्यक होगा, क्योंकि इस मामले का प्रत्यक्ष प्रभाव अंततः उन्ही पर पड़ेगा।