अंतर्राष्ट्रीय समसामयिकी 2 (14-June-2021)
जी-7 शिखर सम्मेलन 2021
(G7 Summit 2021)

Posted on June 14th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने जी-7 शिखर सम्मेलन 2021 (G7 Summit 2021) में भाग लिया है।

 

जी-7 की अध्यक्षता कर रहे ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि देश के तौर पर आमंत्रित किया है।

 

'बिल्डिंग बैक स्ट्रॉन्गर-हेल्थ' शीर्षक से युक्त यह सत्र कोविड-19 महामारी से वैश्विक निजात और भविष्य की महामारियों के खिलाफ महत्वपूर्ण दृष्टिकोण को मजबूत बनाने पर केंद्रित है।

 

इस सत्र के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री ने भारत में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जी-7 और अन्य अतिथि देशों द्वारा दिए गए समर्थन की सराहना की है। उन्होंने महामारी से लड़ने की दिशा में सरकार, उद्योग और नागरिक समाज के सभी स्तरों के प्रयासों के तालमेल के साथ भारत के 'समग्र समाज' के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

 

भारत के प्रधानमंत्री ने संपर्क ट्रेसिंग और वैक्सीन प्रबंधन के लिए ओपन सोर्स डिजिटल टूल्स के भारत के सफल उपयोग के बारे में भी जानकारी दी और अन्य विकासशील देशों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने की भारत की इच्छा से अवगत कराया।

 

प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्वास्थ्य शासन में सुधार हेतु किए जा रहे सामूहिक प्रयासों के लिए भारत के समर्थन की प्रतिबद्धता भी जताई है।

 

उन्होंने कोविड से संबंधित प्रौद्योगिकियों पर ट्रिप्स(TRIPS) छूट के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में प्रस्तावित प्रस्ताव पर जी-7 समूह का समर्थन मांगा है।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ (One Earth, One Health) पर ज़ोर दिया जाना चाहिए।

 

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भारत के प्रधानमंत्री की बातों का समर्थन किया है। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति ने कोविड के टीके के लिए भारत को कच्चा माल देने की अपील की है।

 

जी-7 समूह :

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन (Group of Seven) भी कहते हैं।

 

जी-7 एक अंतर सरकारी संगठन है जिसका गठन 1975 में हुआ था। इसका गठन विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं द्वारा विश्व के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक अनौपचारिक मंच के रूप में किया गया था। विदित हो कि कनाडा 1976 में इस समूह में शामिल हुआ था।

 

शुरुआत से ही आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा एक प्रयास के रूप में गठित, जी -7 फोरम ने दशकों से कई चुनौतियों के बारे में विचार-विमर्श किया है, जैसे कि 1970 के दशक में तेल संकट, वित्तीय संकट, आतंकवाद, हथियारों पर नियंत्रण और मादक पदार्थों की तस्करी इत्यादि।

 

वर्ष 1997 में रूस के इस समूह में शामिल होने के बाद कई वर्षों तक जी-7 को जी-8 (G-8) के रूप में जाना जाता था, किन्तु वर्ष 2014 में रूस को क्रीमिया विवाद के बाद समूह से निष्कासित कर दिये जाने के पश्चात् समूह को एक बार पुनः जी-7 कहा जाने लगा।

 

जी-7 का औपचारिक संविधान या एक निर्धारित मुख्यालय नहीं है। वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं द्वारा लिए गए निर्णय गैर बाध्यकारी होते हैं।