संघ लोक सेवा आयोग के कार्य (Functions of union public service commission)

Posted on May 25th, 2022 | Create PDF File

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संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों का वर्णन निम्नानुसार है:

 

क. यह अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं व केंद्र प्रशासित क्षेत्रों की लोक सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है।

 

ख. संघ लोक सेवा आयोग राज्य (दो या अधिक राज्य द्वारा अनुरोध करने) को किसी ऐसी सेवाओं के लिए जिसके लिए विशेष अर्हता वाले अभ्यर्थी अपेक्षित हैं, उनके लिए संयुक्त  भर्ती की योजना व प्रवर्तन करने में सहायता करता है।

 

ग. यह किसी राज्यपाल के अनुरोध पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के उपरांत सभी या किन्हीं मामलों पर राज्यों को सलाह प्रदान करता है।

 

घ. निजी प्रबंधन से संबंधित निम्नलिखित विषयों में परामर्श देता है

 

1.सिविल सेवाओं और सिविल पदों के लिए भर्ती की पद्धतियों से संबंधित सभी विषयों पर।

 

2.सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्ति करने में तथा प्रोन्नति व एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानांतरण के लिए अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांतों के संबंध में।

 

3.सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्ति करने में, प्रोन्नति तथा एक सेवा से दूसरी सेवा में तबादला या प्रतिनियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों की उपयुक्तता पर। संबंधित विभाग प्रोन्नति की सिफारिश करता है और संघ लोक सेवा आयोग से अनुमोदित करने का आग्रह करता है।

 

4.भारत सरकार में सिविल सेवक की हैसियत में काम करते सभी अनुशासनिक विषय (ज्ञापन या अर्जी सहित) इसमें सम्मिलित हैं:

 

- निंदा (कड़ाई से निरानुमोदन)

 

- वेतन वृद्धि देने से इंकार

 

- पदोन्नति देने से इंकार।

 

- धन हानि की पुनःप्राप्ति।

 

- निम्न सेवाओं या रैंक में कमी (पदावनति)।

 

- अनिवार्य सेवानिवृत्त।

 

- सेवा से हटा देना।

 

- सेवा से बर्खास्त कर देना।

 

5.सिविल सबक द्वारा अपने कर्तव्यों के निष्पादन के अंतर्गत उसके विरुद्ध विधिक कार्यवाहियों की प्रतिरक्षा में उसके द्वारा खर्च की अदायगी का दावा करना।

 

6.भारत सरकार के अधीन काम करने के दौरान किसी व्यक्ति को हुई क्षति को लेकर पेंशन का दावा करना और पेंशन की राशि का निर्धारण करना।

 

7.अल्पकालीन नियुक्ति, एक वर्ष से अधिक तक व नियुक्तियों की नियमितीकरण से संबंधित विषय।

 

8.सेवा के विस्तार व कुछ सेवानिवृत्त नौकरशाहों की पुनर्नियुक्ति से संबंधित मामले।

 

9.कार्मिक प्रबंधन से संबंधित अन्य विषय।

 

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार उपरोक्त मामलों में संघ लोक सेवा आयोग से संपर्क नहीं करता है तो असंतुष्ट सरकारी नौकर की समस्या न्यायालय दूर नहीं कर सकता। दूसरे शब्दों में, न्यायालय ने कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग से संपर्क करने में अनियमितता पाए जाने पर या बिना संपर्क किए कार्य करने पर सरकार के निर्णय को अमान्य नहीं ठहराया जा सकता है। अतः उपबंध मार्गदर्शक है,न कि आवश्यक। उसी प्रकार न्यायालय ने कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयन किए व्यक्ति को उस पद पर आसीन होने का अधिकार नहीं होता। हालांकि सरकार को अपना कार्य निष्पक्ष व बिना मनमानी या बिना बुरे इरादे से करना चाहिए।

 

संघ लोक सेवा आयोग को संसद द्वारा संघ की सेवाओं का अतिरिक्त कार्य भी दिया जा सकता है। संसद संघ लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र में प्राधिकरण, कॉरपोरेट निकाय या सार्वजनिक संस्थान के निजी प्रबंधन के कार्य भी दे सकती है। अतः संसद के अधिनियम के द्वारा संघ लोक सेवा आयोग के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया जा सकता है।

 

संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष अपने कामों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को जिन मामलों में आयोग की सलाह स्वीकृत नहीं की गई हो, के कारणों सहित ज्ञापन को संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करता है। अस्वीकृति के ऐसे सभी मामलों को संघ कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा स्वीकृत कराया जाना चाहिए।

 

किसी स्वतंत्र मंत्रालय या विभाग को संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श को खारिज करने का अधिकार नहीं है।