राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य (Functions of state public service commission)

Posted on May 27th, 2022 | Create PDF File

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राज्य लोक सेवा आयोग राज्य सेवाओं के लिए वही काम करता है जो संघ लोक सेवा आयोग केंद्रीय सेवाओं के लिए करता है:

 

क. यह राज्य की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है।

 

ख. कार्मिक प्रबंधन से संबंधित निम्नलिखित विषयों पर परामर्श देता है:

 

1.सिविल सेवाओं और सिविल पदों के लिए भर्ती की पद्धतियों से संबंधित सभी विषयों पर।

 

2.सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्ति करने में तथा सेवा प्रोन्नति व एक सेवा से दूसरे सेवा में तबादले के लिए अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत के संबंध में।

 

3.सिविल सेवाओं और पदों पर स्थानांतरण करने में,प्रोन्नति, या एक सेवा से दूसरी सेवा में तबादला या प्रतिनियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों की उपयुक्तता पर संबंधित विभाग प्रोन्नति की अनुशंसा करता है और राज्य लोक सेवा आयोग से अनुमोदित करने का आग्रह करता है।

 

4.राज्य सरकार में सिविल हैसियत में कार्य करते हुए सभी अनुशासनिक विषय (ज्ञापन या अर्जी सहित):

 

- निंदा प्रस्ताव रोकना (अस्वीकृति)

 

- वेतन वृद्धि रोकना

 

- पदोन्नति रोकना

 

- धन हानि की पुन: प्राप्ति

 

- निम्न सेवाओं या पद में कर देना (पदावनति)

 

- अनिवार्य

 

- सेवा से हटा देना

 

- सेवा से बर्खास्त कर देना

 

5.अपने कर्तव्यों के निष्पादन के लिए उसके विरुद्ध विधिक कार्यवाहियों की प्रतिरक्षा में उसके द्वारा खर्च की अदायगी का दावा करना।

 

6.राज्य सरकार के अधीन काम करने के दौरान किसी व्यक्ति को हुई हानि को लेकर पेंशन का दावा और उसी राशि का निर्धारण

 

7.कार्मिक प्रबंधन से संबंधित अन्य मसले।

 

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि उपरोक्त मामलों में अगर सरकार राज्य लोक सेवा आयोग से संपर्क नहीं करती है तो असंतुष्ट सरकारी नौकर की समस्या नही दूर कर सकती। दूसरे शब्दों में, न्यायालय ने कहा है कि राज्य लोक सेवा आयोग से संपर्क करने में अनियमितता पाए जाने या बिना संपर्क किए कार्य करने पर सरकार के निर्णय की अमान्य नहीं ठहराया जा सकता। अत: ये उपबंध मार्गदर्शक हैं न कि अनिवार्य। उसी प्रकार, न्यायालय ने कहा है कि राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा चयन किए व्यक्ति को उस पद पर आसीन होने का अधिकार नहीं होता। हालांकि सरकार को अपना काम निष्पक्ष व बिना मनमानी या बिना बुरे इरादों से करना चाहिए।

 

राज्य विधानमण्डल द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग को राज्य की सेवाओं से संबंधित अतिरिक्त कार्य प्रदान किए जा सकते हैं। राज्य लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले निजी प्राधिकरण कॉरपोरेट निकाय या सार्वजनिक संस्था की कार्मिक पद्धति भी इनके कार्य हैं। अतः राज्य विधानमंडल द्वारा अधिनियम के द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया जा सकता है।

 

राज्य लोक सेवा आयोग हर वर्ष अपने कार्यों की रिपोर्ट राज्यपाल को देता है। राज्यपाल इस रिपोर्ट के साथ-साथ ऐसे ज्ञापन विधानमंडल के समक्ष रखता है जिसमें आयोग द्वारा अस्वीकृत मामले और उनके कारणों का वर्णन किया जाता है।