अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (12-Jan-2021)
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
(Financial stability report)

Posted on January 12th, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

हाल ही में रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के 22वें अंक को प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता के जोखिमों से संबंधित वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफ़एसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन और वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित समसामयिक मुद्दों के संदर्भ में वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन को दर्शाया गया है।

 

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का प्रकाशन भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्येक छः माह में किया जाता है। यह रिपोर्ट भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के समग्र मूल्यांकन को प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दिखाया जाता है। साथ ही इसमें वित्तीय स्थिरता के जोखिमों और वित्तीय क्षेत्र के लचीलेपन के बारे में भी बताया गया है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और उसके विनियमन से जुड़े मामलो पर भी चर्चा की जाती है। इस एफ़एसआर के प्रकाशन को पुनर्निर्धारित किया गया था ताकि 2020-21 के लिए राष्ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमानों को शामिल किया जा सके, जोकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा 7 जनवरी 2021 को जारी किए गए थे।

 

22वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

COVID-19 महामारी के प्रारंभिक चरण में, सामान्य कामकाज को बहाल करने और तनाव को कम करने को ध्यान में रखते हुए नीतिगत कार्रवाईयों को तैयार किया गया था; अब बहाली के समर्थन और कारोबारों तथा परिवारों के दिवालियापन को संरक्षित करने की दिशा में ध्यान को उन्मुख किया जा रहा है। वैक्सीन के विकास पर सकारात्मक खबर ने संभावनाओं पर आशावाद को मजबूत किया है, हालांकि इसे अधिक संक्रामक उपभेदों सहित वायरस की दूसरी तरंगों ने आघात पहुंचाया है। बैंकों के कार्यनिष्पादन मापदंडों में काफी सुधार हुआ है, जो कि COVID-19 महामारी की प्रतिक्रिया में उपलब्ध कराए गए विनियामक व्यवस्था से समर्थित है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के जोखिम-भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) मार्च 2020 में 14.7 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 में 15.8 प्रतिशत हो गया, जबकि उनकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 8.4 प्रतिशत से घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया और प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) 66.2 प्रतिशत से बढ़कर 72.4 प्रतिशत हो गया। 7 जनवरी 2021 को जारी 2020-21 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रथम अग्रिम अनुमानों को शामिल करने वाले समष्टि तनाव परीक्षणों से संकेत मिलता है कि बेसलाइन परिदृश्य के तहत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के जीएनपीए अनुपात सितंबर 2020 में 7.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 में 13.5 प्रतिशत हो सकता है और एक गंभीर तनाव परिदृश्य के तहत यह अनुपात 14.8 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यह संपत्ति की गुणवत्ता में संभावित गिरावट का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी के अग्रसक्रिय निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।नेटवर्क विश्लेषण से पता चलता है कि सितंबर 2020 को समाप्त हुई तिमाही में वित्तीय प्रणाली में संस्थाओं के बीच कुल द्विपक्षीय एक्सपोजर में मामूली वृद्धि हुई है। अंतर-बैंक बाजार के सिकुड़ने और बैंकों के बेहतर पूंजीकरण के साथ, विभिन्न परिदृश्यों के तहत मार्च 2020 की तुलना में बैंकिंग प्रणाली के लिए छद्म जोखिम में गिरावट आई है।

 

वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद

रघुराम राजन समिति की सिफारिशों के अनुरूप भारत सरकार की अधिसूचना के आधार पर 30 दिसंबर, 2010 को वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (Financial Stability and Development Council-FSDC) का गठन किया गया था। परिषद की अध्यपक्षता वित्त मंत्री द्वारा की जाती हैं। इस परिषद के सदस्यों में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव और या आर्थिक कार्य विभाग के सचिव, वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार, सेबी के अध्यक्ष और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शामिल होते हैं। परिषद और उसकी उपसमिति (जिसके अध्यक्ष भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं) वित्तीय स्थिरता, नियामक संबंधी समन्वतय और वित्ती्य क्षेत्र के विकास से संबंधित विषयों पर विचार करते हैं।