प्रश्न-आप एक प्रशासनिक अधिकारी हैं। आप एक मंत्री के साथ एक विवाह समारोह में आमंत्रित हैं। विवाह समारोह में आप देखते हैं कि वर और वधू दोनों अभी नाबालिग हैं। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे?
उत्तर - बाल विवाह आज भी भारत के अनेक प्रांतों में एक गंभीर सामाजिक समस्या के रूप में विद्यमान है। इससे संबंधित कानूनों का विधान तो हुआ है लेकिन प्रायः उनकी उपेक्षा एवं अवहेलना की जाती है। वास्तव में बाल विवाह एक कानूनी अपराध है।
एक अधिकारी का कर्तव्य है कि वह सर्वप्रथम इस आपराधिक कृत्य की सूचना पुलिस को दे और तत्काल इस बाल विवाह पर रोक लगाए साथ अपने मंत्री को भी इस आपराधिक कृत्य से अवगत कराए तथा इसे रूकवाने का सुझाव दे। प्रायः इस आपराधिक कृत्य से अवगत कराए तथा इसे रूकवाने का सुझाव दे। प्रायः अधिकारी इस प्रकार का साहस नहीं उठा पाते। वे मानवीय सह संबंध को तो महत्व देते हैं लेकिन उसमें निहित नैतिक उत्तरदायित्व की उपेक्षा करते हैं। वे समझते हैं कि उन्हें इसमें हस्तक्षेप की क्या आवश्यकता है, लेकिन यदि प्रशासनिक अधिकारी एवं मंत्री की उपस्थिति में ही इस प्रकार के आपराधिक कार्य होंगे तो जनसामान्य को और बल मिलेगा ।
अधिकारी को न केवल इस विवाह विशेष को रोकना चाहिए, बल्कि इस सामाजिक कुरीति को दूर करने के लिए संचार के अन्य माध्यमों का उपयोग करते हुए इसके खिलाफ जन जागृति बढ़ाने का भी प्रयास करना चाहिए। इस सन्दर्भ में अन्य संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है। इस सामाजिक कुरीति से संबंधित एक कार्ययोजना बनाने के लिए अपने उच्च अधिकारियों से मीटिंग में वार्ता करनी चाहिए। अर्थात् सामाजिक समस्याओं से प्रशासनिक अधिकारियों को सीधे रूबरू होना चाहिए, क्योंकि इन सामाजिक क्रीतियों पर कानून का विधान तो हो चुका है लेकिन प्रशासनिक शिथिलता के कारण ही ये आपराधिक कृत्य बहुतायत होते रहते हैं। प्रशासन को इस पर सख्ती बरतनी चाहिए ।
प्रश्न-आप एक प्रशासनिक अधिकारी हैं। आप एक मंत्री के साथ एक विवाह समारोह में आमंत्रित हैं। विवाह समारोह में आप देखते हैं कि वर और वधू दोनों अभी नाबालिग हैं। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे?
उत्तर - बाल विवाह आज भी भारत के अनेक प्रांतों में एक गंभीर सामाजिक समस्या के रूप में विद्यमान है। इससे संबंधित कानूनों का विधान तो हुआ है लेकिन प्रायः उनकी उपेक्षा एवं अवहेलना की जाती है। वास्तव में बाल विवाह एक कानूनी अपराध है।
एक अधिकारी का कर्तव्य है कि वह सर्वप्रथम इस आपराधिक कृत्य की सूचना पुलिस को दे और तत्काल इस बाल विवाह पर रोक लगाए साथ अपने मंत्री को भी इस आपराधिक कृत्य से अवगत कराए तथा इसे रूकवाने का सुझाव दे। प्रायः इस आपराधिक कृत्य से अवगत कराए तथा इसे रूकवाने का सुझाव दे। प्रायः अधिकारी इस प्रकार का साहस नहीं उठा पाते। वे मानवीय सह संबंध को तो महत्व देते हैं लेकिन उसमें निहित नैतिक उत्तरदायित्व की उपेक्षा करते हैं। वे समझते हैं कि उन्हें इसमें हस्तक्षेप की क्या आवश्यकता है, लेकिन यदि प्रशासनिक अधिकारी एवं मंत्री की उपस्थिति में ही इस प्रकार के आपराधिक कार्य होंगे तो जनसामान्य को और बल मिलेगा ।
अधिकारी को न केवल इस विवाह विशेष को रोकना चाहिए, बल्कि इस सामाजिक कुरीति को दूर करने के लिए संचार के अन्य माध्यमों का उपयोग करते हुए इसके खिलाफ जन जागृति बढ़ाने का भी प्रयास करना चाहिए। इस सन्दर्भ में अन्य संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है। इस सामाजिक कुरीति से संबंधित एक कार्ययोजना बनाने के लिए अपने उच्च अधिकारियों से मीटिंग में वार्ता करनी चाहिए। अर्थात् सामाजिक समस्याओं से प्रशासनिक अधिकारियों को सीधे रूबरू होना चाहिए, क्योंकि इन सामाजिक क्रीतियों पर कानून का विधान तो हो चुका है लेकिन प्रशासनिक शिथिलता के कारण ही ये आपराधिक कृत्य बहुतायत होते रहते हैं। प्रशासन को इस पर सख्ती बरतनी चाहिए ।