प्रश्न - आप अपने मित्र के विवाह में आमंत्रित हैं। आपका मित्र सिविल सेवा परीक्षा में इसी वर्ष चयनित हुआ है। वह अपने विवाह में एक करोड़ रूपया दहेज ले रहा है। आप इन सभी तथ्यों से भलीभांति अवगत हैं। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे ?
उत्तर - भारतीय समाज में दहेज प्रथा आज भी एक ज्वलंत समस्या के रूप में विद्यमान है। सामाजिक स्तर पर इसका कोई समाधान प्रतीत नहीं होता और प्रशासन प्रायः इस विषय में हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि इसकी शिकायत दर्ज न कराई जाए ।
वास्तव में यह सामाजिक समस्या मनुष्य के व्यक्तिगत मूल्य से संबंधित है। दहेज लेना या न लेना व्यक्ति का वैयक्तिक निर्णय होता है।
दहेज एक सामाजिक समस्या के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा और अर्थोपार्जन का भी परिचायक है। दहेज को सामाजिक प्रतिष्ठा के रूप में देखा जाता है। दहेज प्राप्त करने वाला पक्ष इसे अर्थोपार्जन के रूप में भी देखता है। दहेज देने वाला संपन्न वर्ग तो स्वेच्छा से धन खर्च करना चाहता है लेकिन यह उनके लिए समस्या बन जाता है, जो आर्थिक रूप से विपन्न है।
एक मित्र होने के कारण सर्वप्रथम मेरा नैतिक उत्तरदायित्व है कि मैं मित्र को समझाऊं कि वह अपने विवाह में दहेज को प्राथमिकता न दे बल्कि अपनी होने वाली पत्नी की शिक्षा, गुणवत्ता, रोजगार और व्यक्तित्व को प्रमुखता दे। क्योंकि विवाह दो व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक संबंध है। यह मधुर संबंध उन्नत व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। जहाँ तक पैसे का प्रश्न है सिविल सेवा में सफल होने के पश्चात् वह स्वतः ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो गया है,और यदि उसकी होने वाली पत्नी भी यदि इसी सेवा में सम्मिलित है तो वह जीवन भर इतना कुछ दे देती है जिसकी तुलना दहेज से नहीं की जा सकती।
मित्र को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उसके द्वारा लिया गया निर्णय समाज में एक प्रतिमान का रूप लेता है। ऐसी स्थिति में उसके कुछ सामाजिक उत्तरदायित्व भी हैं। एक मित्र होने के नाते मैं उसे इन सभी बातों से अवगत कराऊंगा और यदि मेरे इस आत्मीय प्रयास के बाद भी वह दहेज लेना अस्वीकार नहीं करता तो मैं बिना व्यक्तिगत संबंधों को क्षति पहुंचाए हुए उसके इस आपराधिक कृत्य की सूचना पुलिस को दूंगा तथा उचित कारवाई के लिए प्रयास करूंगा। दहेज प्रथा एक जघन्य सामाजिक अपराध है। इसे समाप्त करने के लिए हमें जब भी और जो भी सकारात्मक कदम वांछनीय प्रतीत होंगे मैं उन्हें अपनाऊंगा।
प्रश्न - आप अपने मित्र के विवाह में आमंत्रित हैं। आपका मित्र सिविल सेवा परीक्षा में इसी वर्ष चयनित हुआ है। वह अपने विवाह में एक करोड़ रूपया दहेज ले रहा है। आप इन सभी तथ्यों से भलीभांति अवगत हैं। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे ?
उत्तर - भारतीय समाज में दहेज प्रथा आज भी एक ज्वलंत समस्या के रूप में विद्यमान है। सामाजिक स्तर पर इसका कोई समाधान प्रतीत नहीं होता और प्रशासन प्रायः इस विषय में हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि इसकी शिकायत दर्ज न कराई जाए ।
वास्तव में यह सामाजिक समस्या मनुष्य के व्यक्तिगत मूल्य से संबंधित है। दहेज लेना या न लेना व्यक्ति का वैयक्तिक निर्णय होता है।
दहेज एक सामाजिक समस्या के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा और अर्थोपार्जन का भी परिचायक है। दहेज को सामाजिक प्रतिष्ठा के रूप में देखा जाता है। दहेज प्राप्त करने वाला पक्ष इसे अर्थोपार्जन के रूप में भी देखता है। दहेज देने वाला संपन्न वर्ग तो स्वेच्छा से धन खर्च करना चाहता है लेकिन यह उनके लिए समस्या बन जाता है, जो आर्थिक रूप से विपन्न है।
एक मित्र होने के कारण सर्वप्रथम मेरा नैतिक उत्तरदायित्व है कि मैं मित्र को समझाऊं कि वह अपने विवाह में दहेज को प्राथमिकता न दे बल्कि अपनी होने वाली पत्नी की शिक्षा, गुणवत्ता, रोजगार और व्यक्तित्व को प्रमुखता दे। क्योंकि विवाह दो व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक संबंध है। यह मधुर संबंध उन्नत व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। जहाँ तक पैसे का प्रश्न है सिविल सेवा में सफल होने के पश्चात् वह स्वतः ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो गया है,और यदि उसकी होने वाली पत्नी भी यदि इसी सेवा में सम्मिलित है तो वह जीवन भर इतना कुछ दे देती है जिसकी तुलना दहेज से नहीं की जा सकती।
मित्र को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उसके द्वारा लिया गया निर्णय समाज में एक प्रतिमान का रूप लेता है। ऐसी स्थिति में उसके कुछ सामाजिक उत्तरदायित्व भी हैं। एक मित्र होने के नाते मैं उसे इन सभी बातों से अवगत कराऊंगा और यदि मेरे इस आत्मीय प्रयास के बाद भी वह दहेज लेना अस्वीकार नहीं करता तो मैं बिना व्यक्तिगत संबंधों को क्षति पहुंचाए हुए उसके इस आपराधिक कृत्य की सूचना पुलिस को दूंगा तथा उचित कारवाई के लिए प्रयास करूंगा। दहेज प्रथा एक जघन्य सामाजिक अपराध है। इसे समाप्त करने के लिए हमें जब भी और जो भी सकारात्मक कदम वांछनीय प्रतीत होंगे मैं उन्हें अपनाऊंगा।