प्रश्न - आप एक सार्वजनिक स्थान पर खड़े हैं। कुछ युवक एक महिला के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। महिला के विरोध करने के बावजूद वे छेड़खानी करना बन्द नहीं करते। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे ?
उत्तर - भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति अपराध एक व्यापक समस्या है। महिलाओं को अनेक विषम स्थितियों से संघर्ष करना पड़ता है। महिलाओं पर अपराध का प्रारंभ कन्या भ्रूण हत्या से हो जाता है। उन्हें घर की चाहरदीवारी में घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है और घर की चाहरदीवारी के बाहर उन्हें पुरुषों की गन्दी मानसिकता से संघर्ष करना होता है जो प्रायः: हमारे पुरुष प्रधान समाज की कुत्सित मानसिकता को व्यक्त करता है। कन्या भ्रूण हत्या और घरेलू हिंसा पर कानूनों का विधान हो चुका है लेकिन छेड़खानी संबंधी अपराध पर और सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
छेड़छाड़ एवं आपराधिक घटनाओं के कारण ही महिलाएं घर से बाहर प्रायः सुरक्षित महसूस नहीं करती। यह स्वस्थ समाज का परिचायक नहीं है। जहॉँ तक इस विशेष तात्कालिक घटना का संबंध है ऐसी स्थिति में मुझे तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और पुलिस की सहायता लेनी चाहिए । पुलिस के पहुंचने तक मुझे उस स्थान पर न केवल रूके रहना चाहिए बल्कि अन्य उपस्थित व्यक्तियों को भी इस कृत्य के बारे में बताना चाहिए और उस लड़की को सुरक्षित घर पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए |
प्रायः लोग ऐसी स्थिति में साहसिक कदम नहीं उठाते। वो इस घटना की उपेक्षा करते हैं और अपने नैतिक उत्तरदायित्व से बचने का प्रयास करते हैं लेकिन समाज के कुछ व्यक्ति जब तक इसके विरुद्ध सकारात्मक कदम नहीं उठाते तब तक इस आपराधिक मानसिकता को समाप्त नहीं किया जा सकता। वास्तव में मूल्यों की स्थापना परिवार से ही प्रारम्भ हो जाती है। यदि परिवार में ही बच्चों को अच्छे मूल्य दिए जाए तो इस मानसिकता को समूल समाप्त किया जा सकता है।आवश्यकता केवल तात्कालिक समस्या के समाधान की नहीं है बल्कि इस मनोवृत्ति को पूर्णतः समाप्त करने की है।
प्रश्न - आप एक सार्वजनिक स्थान पर खड़े हैं। कुछ युवक एक महिला के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। महिला के विरोध करने के बावजूद वे छेड़खानी करना बन्द नहीं करते। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे ?
उत्तर - भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति अपराध एक व्यापक समस्या है। महिलाओं को अनेक विषम स्थितियों से संघर्ष करना पड़ता है। महिलाओं पर अपराध का प्रारंभ कन्या भ्रूण हत्या से हो जाता है। उन्हें घर की चाहरदीवारी में घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है और घर की चाहरदीवारी के बाहर उन्हें पुरुषों की गन्दी मानसिकता से संघर्ष करना होता है जो प्रायः: हमारे पुरुष प्रधान समाज की कुत्सित मानसिकता को व्यक्त करता है। कन्या भ्रूण हत्या और घरेलू हिंसा पर कानूनों का विधान हो चुका है लेकिन छेड़खानी संबंधी अपराध पर और सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
छेड़छाड़ एवं आपराधिक घटनाओं के कारण ही महिलाएं घर से बाहर प्रायः सुरक्षित महसूस नहीं करती। यह स्वस्थ समाज का परिचायक नहीं है। जहॉँ तक इस विशेष तात्कालिक घटना का संबंध है ऐसी स्थिति में मुझे तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और पुलिस की सहायता लेनी चाहिए । पुलिस के पहुंचने तक मुझे उस स्थान पर न केवल रूके रहना चाहिए बल्कि अन्य उपस्थित व्यक्तियों को भी इस कृत्य के बारे में बताना चाहिए और उस लड़की को सुरक्षित घर पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए |
प्रायः लोग ऐसी स्थिति में साहसिक कदम नहीं उठाते। वो इस घटना की उपेक्षा करते हैं और अपने नैतिक उत्तरदायित्व से बचने का प्रयास करते हैं लेकिन समाज के कुछ व्यक्ति जब तक इसके विरुद्ध सकारात्मक कदम नहीं उठाते तब तक इस आपराधिक मानसिकता को समाप्त नहीं किया जा सकता। वास्तव में मूल्यों की स्थापना परिवार से ही प्रारम्भ हो जाती है। यदि परिवार में ही बच्चों को अच्छे मूल्य दिए जाए तो इस मानसिकता को समूल समाप्त किया जा सकता है।आवश्यकता केवल तात्कालिक समस्या के समाधान की नहीं है बल्कि इस मनोवृत्ति को पूर्णतः समाप्त करने की है।