व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1(23-Mar-2023)
डॉ. राम मनोहर लोहिया
(Dr. Ram Manohar Lohia)

Posted on March 23rd, 2023 | Create PDF File

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. राम मनोहर लोहिया को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

 

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा;

 

"डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। वे एक प्रखर बुद्धिजीवी और गहन विचारक थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में और बाद में एक समर्पित नेता के साथ-साथ एक संसद-सदस्य के रूप में भी अत्यधिक योगदान दिया। हम एक मजबूत भारत के उनके दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।"

 

डॉ. राम मनोहर लोहिया :

 

इनका जन्म 23 मार्च, 1910 को अकबरपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

 

भारतीय राजनीतिज्ञ व कर्मठ कार्यकर्त्ता के रूप में डॉ. लोहिया ने समाजवादी राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

उन्होंने अपना अधिकांश जीवन भारतीय समाजवाद के विकास के माध्यम से अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के  लिये समर्पित किया।

 

समाजवाद राजनीतिक विचारों के एक समूह को संदर्भित करता है, जो औद्योगिक पूंजीगत अर्थव्यवस्था में मौजूद और इसके द्वारा उत्पन्न असमानताओं की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया।

 

शिक्षा :

 

उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि तथा वर्ष 1932 में  बर्लिन विश्वविद्यालय (जहाँ  उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति का अध्ययन किया) से मानद (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की।

 

स्वतंत्रता-पूर्व उनकी भूमिका :

 

वर्ष 1934 में लोहिया भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress) के अंदर एक वामपंथी समूह कॉन्ग्रेस-सोशलिस्ट पार्टी (Congress Socialist Party- CSP) में सक्रिय रूप से शामिल हो गए।

 

उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) में ग्रेट ब्रिटेन द्वारा भारत को शामिल करने के निर्णय का विरोध किया और वर्ष 1939 तथा वर्ष 1940 में ब्रिटिश विरोधी टिप्पणी करने के लिये गिरफ्तार किये गए।

 

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिये एक स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया।

 

लोहिया ने अन्य CSP नेताओं (जैसे कि जय प्रकाश नारायण) के साथ भूमिगत रहकर  वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के लिये समर्थन जुटाया। ऐसी प्रतिरोधी गतिविधियों के लिये उन्हें 1944-46 तक फिर से जेल में डाल दिया गया।

 

स्वतंत्रता के बाद की भूमिका :

 

वर्ष 1948 में लोहिया एवं अन्य CSP सदस्यों ने कॉन्ग्रेस की सदस्यता छोड़ दी।

 

वर्ष 1952 में वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (Praja Socialist Party) के सदस्य बने और कुछ समय के लिये इसके महासचिव के रूप में कार्य किया किंतु पार्टी के भीतर मतभेदों के कारण वर्ष 1955 में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।

 

वर्ष 1955 में लोहिया ने एक नई सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की जिसके वे अध्यक्ष बने और साथ ही इसकी पत्रिका मैनकाइंड (Mankind) का संपादन भी किया। 

 

उन्होंने एक पार्टी नेता के तौर पर विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक सुधारों की वकालत की जिसमें जाति व्यवस्था का उन्मूलन, भारत की राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी को मान्यता और नागरिक स्वतंत्रता का मज़बूती से संरक्षण शामिल है।

 

वर्ष 1963 में लोहिया लोकसभा के लिये चुने गए , जहाँ उन्हें सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना करने के लिये जाना गया।

 

उनके कुछ प्रमुख लेखन कार्यों में शामिल हैं: व्हील ऑफ हिस्ट्री (Wheel of History), मार्क्स (Marx), गांधी और समाजवाद (Gandhi and Socialism), भारत विभाजन के दोषी पुरुष (Guilty Men of India’s Partition) आदि।

 

मृत्यु :

 

12 अक्तूबर 1967 ।