राष्ट्रीय समसामयिकी 1(23-Mar-2023)
‘डिजीक्लेम’ का शुभारंभ
(Launch of 'Digiclaim')

Posted on March 23rd, 2023 | Create PDF File

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) के डिजिटाइज्ड क्लेम सेटलमेंट मॉड्यूल डिजीक्लेम का आज शुभारंभ किया।

 

इस नवाचार के साथ ही दावों का वितरण अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा, जिसका सीधा लाभ प्रारंभ में 6 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा) के संबंधित किसानों को होगा। दावा भुगतान की प्रक्रिया अब स्वचालित हो जाएगी क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डेटा जारी किया जाता है।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा पीएमएफबीवाई का शुभारंभ 6 साल पहले किया गया था।

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) :

 

PMFBY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया तथा इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है।

 

इसने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को परिवर्तित कर दिया।

 

पात्रता :

 

अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिये पात्र हैं।

 

उद्देश्य :

 

प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।

 

खेती में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये किसानों की आय को स्थिर करना।

 

किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।

 

कृषि क्षेत्र के लिये ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करना।

 

बीमा किस्त :

 

इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम- खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है।

 

वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है।

 

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर जहाँ यह 90:10 है, इन सीमाओं से अधिक प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के आधार पर साझा किया जाता है।

 

सरकारी सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यहाँ तक कि अगर शेष प्रीमियम 90% है, तो यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

 

इससे पहले प्रीमियम दर को सीमित करने का प्रावधान था, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को कम दावों के आधार पर भुगतान किया जाता था।

 

यह ऊपरी सीमा अब हटा दी गई है और किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमा राशि का दावा प्राप्त होगा।