अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (19-Aug-2019)
श्रीलंका के सैन्य प्रमुख बने विवादित फील्ड कमांडर
(Controversial field commander appointed as military chief of Sri Lanka)

Posted on August 19th, 2019 | Create PDF File

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श्रीलंका के एक विवादित फील्ड कमांडर को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। इस फैसले पर अमेरिका की ओर से “गहरी चिंता” जताई गई है।

 

यह विवादित फील्ड कमांडर देश के 26 साल तक चले गृहयुद्ध के दौरान मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों का आरोपी रहा है।

 

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के कार्यालय ने लेफ्टिनेंट जनरल शवेंद्र सिल्वा को नया सैन्य कमांडर नियुक्त किए जाने की घोषणा की।

 

मौजूदा सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायक की सेवा अवधि नहीं बढ़ाने के कारण लेफ्टिनेंट जनरल शवेंद्र सिल्वा (55) यह प्रभार संभालेंगे।

 

सिल्वा ने 2009 में गृह युद्ध के अंतिम दौर में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के विद्रोहियों के खिलाफ जंग में सेना के 58वें डिविजन की कमान संभाली थी।

 

उनकी ब्रिगेड पर आम नागरिकों, अस्पतालों और फंसे हुए तमिल नागरिकों को की जा रही रसद आपूर्ति रोकने का आरोप है।

 

सिल्वा के नाम का उल्लेख संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) द्वारा 2013 में पारित प्रस्ताव में था जिसमें श्रीलंकाई सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।

 

श्रीलंकाई सेना ने कथित मानवाधिकार उल्लंघनों से इनकार किया था।

 

आलोचकों का कहना है कि सिल्वा की सैन्य प्रमुख के तौर पर नियुक्ति संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियानों में श्रीलंका के सहयोग तथा अमेरिका और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग में तनाव ला सकती है।

 

यहां स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि अमेरिका सिल्वा की नियुक्ति पर गहरी चिंता जाहिर करता है।

 

दूतावास ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य संगठनों द्वारा उनके खिलाफ मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के प्रमाणित हुए आरोप गंभीर एवं विश्वसनीय हैं।

 

“यह नियुक्ति श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय साख और न्याय एवं जवाबदेही को प्रोत्साहित करने की उसकी प्रतिबद्धता को कमतर बताती है खास कर ऐसे समय में जब पुन: मैत्री और सामाजिक एकता की जरूरत सर्वाधिक है।’’

 

नृशंस गृह युद्ध खत्म होने के बाद सिल्वा ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मिशन के स्थायी उपप्रतिनिधि के तौर पर सेवा दी थी।

 

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों ने श्रीलंकाई सरकार से युद्ध अपराध अधिकरण स्थापित करने की अपील की है जो मानवता के खिलाफ सेना एवं तमिल आतंकवादी समूहों दोनों की ओर से किए गए अपराध के आरोपों की जांच करे।

 

बाद की श्रीलंकाई सरकारों ने अंतरराष्ट्रीय जांच करने के प्रयासों का यह कह कर विरोध किया है कि यह द्वीप देश का आंतरिक मामला है।