विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामियिकी 1 (3-Aug-2020)^बेइदोऊ नेविगेशन सिस्टम (BeiDou navigation system)
Posted on August 3rd, 2020
चीन द्वारा स्वदेशी बेइदोऊ नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम (BeiDou navigation satellites system) समूह को पूरा करने की घोषणा की गयी है।
यह चीन निर्मित सैटेलाइट नेवीगेशन प्रणाली है।इस प्रणाली में उपग्रहों के नेटवर्क का उपयोग किया जाता है, तथा यह दस मीटर की दूरी तक सटीक अवस्थिति प्रदान कर सकती है। (जीपीएस (GPS), 2 मीटर तक सटीक अवस्थिति प्रदान करता है)।चीन ने मत्स्य पालन, कृषि, विशेष देखभाल, लोक-बाजार अनुप्रयोगों, वानिकी और सार्वजनिक सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुप्रयोगों को एकीकृत करने के उद्देश्य से वर्ष 1994 में ‘बेईदोऊ’ (BeiDou) प्रोजेक्ट का आरम्भ किया था।BeiDou, सटीक अवस्थिति, नेविगेशन और समय के साथ-साथ संक्षिप्त संदेश संचार (short message communication) सेवाएं प्रदान करता है।
BeiDou नेविगेशन सिस्टम के अंतर्गत ‘मध्य भू कक्षा’ (Medium Earth orbit- MEO) में 27 उपग्रह, भूस्थैतिक कक्षा में पांच उपग्रह तथा आनत भू-समकालिक कक्षाओं (inclined geosynchronous orbits) में तीन उपग्रह स्थिति हैं।
चीन और अमेरिका के मध्य संबंध बिगड़े हुए है, अतः चीन के लिए अमेरिकी जीपीएस पर निर्भरता समाप्त करने के लिए अपना नेविगेशन सिस्टम तैयार करना आवश्यक हो गया।BeiDou प्राणाली के पूरे होने के पश्चात चीन के पास अब अपना नेविगेशन सिस्टम है, तथा यह अन्य देशों द्वारा विकसित नेविगेशन प्रणालियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गया है।यह प्रणाली चीनी सेना को बेईदोऊ-निर्देशित पारंपरिक आक्रामक हथियारों (Beidou-guided conventional strike weapons) की तैनाती करने में सक्षम बनायेगी।
जीपीएस (GPS) अमेरिकी सरकार की नेविगेशन प्रणाली है तथा इसे अमेरिकी वायु सेना द्वारा संचालित किया जाता है।रूस के पास अपना नेविगेशन सिस्टम ग्लोनास (GLONASS) है।यूरोपीय संघ (EU) के नेविगेशन सिस्टम का नाम गैलीलियो (GALILEO) है।भारत की नेविगेशन प्रणाली को नाविक- नैविगेशन विद इंडियन कौन्स्टेलेशन (NAVigation with Indian Constellation– NavIC) कहा जाता है।
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामियिकी 1 (3-Aug-2020)बेइदोऊ नेविगेशन सिस्टम (BeiDou navigation system)
चीन द्वारा स्वदेशी बेइदोऊ नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम (BeiDou navigation satellites system) समूह को पूरा करने की घोषणा की गयी है।
यह चीन निर्मित सैटेलाइट नेवीगेशन प्रणाली है।इस प्रणाली में उपग्रहों के नेटवर्क का उपयोग किया जाता है, तथा यह दस मीटर की दूरी तक सटीक अवस्थिति प्रदान कर सकती है। (जीपीएस (GPS), 2 मीटर तक सटीक अवस्थिति प्रदान करता है)।चीन ने मत्स्य पालन, कृषि, विशेष देखभाल, लोक-बाजार अनुप्रयोगों, वानिकी और सार्वजनिक सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुप्रयोगों को एकीकृत करने के उद्देश्य से वर्ष 1994 में ‘बेईदोऊ’ (BeiDou) प्रोजेक्ट का आरम्भ किया था।BeiDou, सटीक अवस्थिति, नेविगेशन और समय के साथ-साथ संक्षिप्त संदेश संचार (short message communication) सेवाएं प्रदान करता है।
BeiDou नेविगेशन सिस्टम के अंतर्गत ‘मध्य भू कक्षा’ (Medium Earth orbit- MEO) में 27 उपग्रह, भूस्थैतिक कक्षा में पांच उपग्रह तथा आनत भू-समकालिक कक्षाओं (inclined geosynchronous orbits) में तीन उपग्रह स्थिति हैं।
चीन और अमेरिका के मध्य संबंध बिगड़े हुए है, अतः चीन के लिए अमेरिकी जीपीएस पर निर्भरता समाप्त करने के लिए अपना नेविगेशन सिस्टम तैयार करना आवश्यक हो गया।BeiDou प्राणाली के पूरे होने के पश्चात चीन के पास अब अपना नेविगेशन सिस्टम है, तथा यह अन्य देशों द्वारा विकसित नेविगेशन प्रणालियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गया है।यह प्रणाली चीनी सेना को बेईदोऊ-निर्देशित पारंपरिक आक्रामक हथियारों (Beidou-guided conventional strike weapons) की तैनाती करने में सक्षम बनायेगी।
जीपीएस (GPS) अमेरिकी सरकार की नेविगेशन प्रणाली है तथा इसे अमेरिकी वायु सेना द्वारा संचालित किया जाता है।रूस के पास अपना नेविगेशन सिस्टम ग्लोनास (GLONASS) है।यूरोपीय संघ (EU) के नेविगेशन सिस्टम का नाम गैलीलियो (GALILEO) है।भारत की नेविगेशन प्रणाली को नाविक- नैविगेशन विद इंडियन कौन्स्टेलेशन (NAVigation with Indian Constellation– NavIC) कहा जाता है।