पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (15-July-2019)^प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घटी : सरकार (Availability of water per person decreased: Government)
Posted on July 15th, 2019
सरकार ने सोमवार को बताया कि प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2001 में 1,816 घन मीटर थी जो 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा को प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने साथ ही जल संकट से निपटने के लिए वर्षा जल संरक्षण पर भी जोर दिया ।
पूरक प्रश्नों के जवाब में शेखावत ने कहा ‘‘जल संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। जागरूकता के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है। कई देशों में नाले नालियों के पानी को पेय जल बनाने के लिए पुन:चक्रित (रीसाइकिल) किया जा रहा है लेकिन भारत में ऐसी कोई जरूरत फिलहाल नहीं है।’’
शेखावत ने कहा ‘‘पानी राज्य का विषय है और जलापूर्ति की योजना, निधि की व्यवस्था, कार्यान्वयन एवं रखरखाव मुख्यत: राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। ’’
उन्होंने बताया कि नीति आयोग के दस्तावेज ‘‘नए भारत की रणनीति’’ के अनुसार, बढ़ती आबादी की वजह से देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई जो कि 2001 में 1,816 घन मीटर थी।
उन्होंने कहा कि जलसंरक्षण पर और पानी की कमी के दौरान प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल जरूरत पूरी करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 20 मई 2019 को राज्यों को परामर्श जारी किया है।
शेखावत ने बताया कि केंद्रीय बजट अभिभाषण, 2019-20 में की गई घोषणा के अनुसार, जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को हर घर जल (पाइपयुक्त जलापूर्ति) सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है। इससे अन्य जरूरतों के साथ साथ बढ़ती हुई मांग का भी समाधान होगा।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (15-July-2019)प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घटी : सरकार (Availability of water per person decreased: Government)
सरकार ने सोमवार को बताया कि प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2001 में 1,816 घन मीटर थी जो 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा को प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने साथ ही जल संकट से निपटने के लिए वर्षा जल संरक्षण पर भी जोर दिया ।
पूरक प्रश्नों के जवाब में शेखावत ने कहा ‘‘जल संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। जागरूकता के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है। कई देशों में नाले नालियों के पानी को पेय जल बनाने के लिए पुन:चक्रित (रीसाइकिल) किया जा रहा है लेकिन भारत में ऐसी कोई जरूरत फिलहाल नहीं है।’’
शेखावत ने कहा ‘‘पानी राज्य का विषय है और जलापूर्ति की योजना, निधि की व्यवस्था, कार्यान्वयन एवं रखरखाव मुख्यत: राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। ’’
उन्होंने बताया कि नीति आयोग के दस्तावेज ‘‘नए भारत की रणनीति’’ के अनुसार, बढ़ती आबादी की वजह से देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई जो कि 2001 में 1,816 घन मीटर थी।
उन्होंने कहा कि जलसंरक्षण पर और पानी की कमी के दौरान प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल जरूरत पूरी करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 20 मई 2019 को राज्यों को परामर्श जारी किया है।
शेखावत ने बताया कि केंद्रीय बजट अभिभाषण, 2019-20 में की गई घोषणा के अनुसार, जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को हर घर जल (पाइपयुक्त जलापूर्ति) सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है। इससे अन्य जरूरतों के साथ साथ बढ़ती हुई मांग का भी समाधान होगा।