(इतिहास में आज का दिन)16 जुलाई : विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता (July 16: Legal Recognition to Widow Remarriage)

Posted on July 15th, 2019 | Create PDF File

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करीब 160 साल पहले की एक महत्वपूर्ण घटना ने 16 जुलाई के दिन को भारत के इतिहास में एक खास जगह दिला दी। दरअसल 1856 को 16 जुलाई का दिन विधवाओं के लिए समाज में फिर से स्थापित होने का अवसर लेकर आया। इसी दिन भारत में विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता मिली।

 

अंग्रेज सरकार से इसे लागू करवाने में समाजसेवी ईश्वरचंद विद्यासागर का बड़ा योगदान था। उन्होंने विधवा विवाह को हिंदू समाज में स्थान दिलवाने का काम शुरू किया। इस सामाजिक सुधार के प्रति उनकी प्रबल इच्छाशक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद विद्यासागर ने अपने बेटे का विवाह भी एक विधवा से ही किया। इस अधिनियम से पहले तक हिंदू समाज में उच्च जाति की विधवा महिलाओं को दोबारा शादी की इजाजत नहीं थी।

 

देश दुनिया के इतिहास में 16 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

 

1661 : स्वीडिश बैंक ने यूरोप में पहला नोट जारी किया।

1856 : हिंदू विधवाओं के पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता मिली।

1890 : पार्किंसन नाम के एक डॉक्टर ने पार्किंसन बीमारी के बारे में अपनी जॉच पूरी की। उन्हीं के नाम पर बीमारी का नाम पार्किन्सन्स रखा गया।

1905 : बागेरहाटर :अब बांग्लादेश: में एक जनसभा में ब्रिटिश सामान के बहिष्कार के प्रस्ताव को पहली बार मंजूरी दी गई।

1925 : इराक में राजा फैसल ने बगदाद में पहली संसद स्थापित की।

1925 : नेशनल जियोग्राफिक ने पहली बार समुद्र के भीतर के दृश्यों की प्राकृतिक रंगीन फोटो निकाली।

1945 : अमेरिका ने परमाणु बम का पहला परीक्षण किया।

1951 : नेपाल को ब्रिटेन से आजादी मिली।

1969 : इंसान को चांद पर पहुंचाने की पहली कोशिश के तहत अमेरिका के केप कैनेडी स्टेशन से अपोलो 11 अंतरिक्ष यान तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर रवाना हुआ।

1990 : यूक्रेन ने स्वतंत्रता की घोषणा की।

1999 : जॉन एफ़. कैनेडी के पुत्र जॉन एफ़. कैनेडी जूनियर की विमान दुर्घटना में मृत्यु।

2003 : पाकिस्तान, सऊदी अरब और 53 अन्य इस्लामी देश, इस्रायल को 2005 तक मान्यता देने पर राजी।

2006 : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोरिया पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित।

2007 बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना वाजिद को धन वसूली के एक मामले में गिरफ़्तार किया गया।