पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1(10-November-2023)दिल्ली प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा परियोजना(Artificial rain project to tackle Delhi pollution)
Posted on November 13th, 2023 | Create PDF File
दिल्ली सरकार शहर में बढ़ते प्रदूषण स्तर से निपटने के उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा पर विचार कर रही है।
IIT-कानपुर ने मानसून के महीनों के दौरान पायलट परियोजनाएँ संचालित की हैं और अब उसका ध्यान सर्दियों की स्थितियों पर है।
क्लाउड सीडिंग के लिये न्यूनतम 40% बादल और नमी की आवश्यकता होती है।
कृत्रिम वर्षा के लिये 20 और 21 नवंबर, 2023 को संभावित अनुकूल परिस्थितियों का अनुमान हैं।
इस परियोजना में विमान के माध्यम से क्लाउड सीडिंग के लिये सिल्वर आयोडाइड और अन्य घटकों का उपयोग किया जाएगा।
प्रदूषण के स्तर को कम करने में कृत्रिम बारिश की प्रभावशीलता नमी और वर्षा जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
क्लाउड सीडिंग :
क्लाउड सीडिंग, सूखी बर्फ या सामान्यतः सिल्वर आयोडाइड एरोसोल के बादलों के ऊपरी हिस्से में छिड़काव की प्रक्रिया है ताकि वर्षण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करके वर्षा कराई जा सके।
क्लाउड सीडिंग में छोटे कणों को विमानों का उपयोग कर बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है। छोटे-छोटे कण हवा से नमी सोखते हैं और संघनन से उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे जल की भारी बूँदें बनकर वर्षा करती हैं।
क्लाउड सीडिंग से वर्षा दर प्रतिवर्ष लगभग 10% से 30% तक बढ़ जाती है और क्लाउड सीडिंग के संचालन में विलवणीकरण प्रक्रिया की तुलना में बहुत कम लागत आती है।
क्लाउड सीडिंग के तरीके :
हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग :
बादलों के निचले हिस्से में ज्वालाओं या विस्फोटकों के माध्यम से नमक को फैलाया जाता है, और जैसे ही यह पानी के संपर्क में आता है नमक कणों का आकार बढ़ने लगता है।
स्टेटिक क्लाउड सीडिंग :
इसमें सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायन को बादलों में फैलाया जाता है। सिल्वर आयोडाइड एक क्रिस्टल का उत्पादन करता है जिसके चारों ओर नमी संघनित हो जाती है।
वातावरण में उपस्थित जलवाष्प को संघनित करने में सिल्वर आयोडाइड अधिक प्रभावी है।
डायनेमिक क्लाउड सीडिंग :
इसका उद्देश्य ऊर्ध्वाधर वायु राशियों को बढ़ावा देना है जो बादलों से गुजरने हेतु अधिक जल को प्रोत्साहित करता है, जिससे वर्षा की मात्रा बढ़ जाती है।
प्रक्रिया को स्थिर ,क्लाउड सीडिंग, की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है क्योंकि यह अनुकूल घटनाओं के अनुक्रम पर निर्भर करता है।
क्लाउड सीडिंग के अनुप्रयोग :
कृषि :
इसके द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा के माध्यम से राहत प्रदान की जाती है।
उदाहरण के लिये, वर्ष 2017 में कर्नाटक में 'वर्षाधारी परियोजना' के अंतर्गत कृत्रिम वर्षा कराई गई थी।
विद्युत उत्पादन :
क्लाउड सीडिंग के अनुप्रयोग द्वारा तस्मानिया (ऑस्ट्रेलिया) में पिछले 40 वर्षों के दौरान जल विद्युत उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।
जल प्रदूषण नियंत्रण :
क्लाउड सीडिंग गर्मियों के दौरान नदियों के न्यूनतम प्रवाह को बनाए रखने में मदद कर सकती है और नगर पालिकाओं तथा उद्योगों से उपचारित अपशिष्ट जल के निर्वहन के प्रभाव को भी कम कर सकती है।
कोहरा का प्रसार, ओला वर्षण और चक्रवात की स्थिति में परिवर्तन:
सर्दियों के दौरान क्लाउड सीडिंग का उपयोग पर्वतों पर बर्फ की परत का क्षेत्रफल बढ़ाया जाता है, ताकि वसंत के मौसम में बर्फ के पिघलने के दौरान अतिरिक्त अपवाह प्राप्त हो सके।
कोहरा के प्रसार, ओला वर्षण और चक्रवात की स्थिति में परिवर्तन के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग के माध्यम से मौसम में परिवर्तन के लिये वर्ष 1962 में अमेरिका में "प्रोजेक्ट स्काई वाटर" का परिचालन किया गया था।
वायु प्रदूषण में कमी :
वर्षा के माध्यम से ज़हरीले वायु प्रदूषकों को कम करने के लिये ‘क्लाउड सीडिंग’ का संभावित रूप से उपयोग किया जा सकता है।
उदाहरण: हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अन्य शोधकर्त्ताओं के साथ दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये क्लाउड सीडिंग के उपयोग पर विचार किया।
पर्यटन :
क्लाउड सीडिंग द्वारा शुष्क क्षेत्रों को अनुकूलित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।