कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (27-Feb-2021)
झारखंड में एक प्राचीन बौद्ध मठ की खोज
(Ancient Buddhist Monastery Found in Jharkhand)

Posted on February 27th, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ( Archeological Survey of India- ASI) ने झारखंड की सीतागढ़ी हिल्स के जुलजुल पहाड़ के पास एक टीले के नीचे दफन बौद्ध मठ की खोज की है, जिसे कम-से-कम 900 वर्ष पुराना माना जा रहा है।इस स्थल के नज़दीक पहले भी एक प्राचीन बौद्ध स्थल इसी तरह के टीले के नीचे दफन पाया गया।

 

प्राप्त पुरावशेष:

* वरद मुद्रा (हाथ से वरदान देने का इशारा) में देवी तारा की चार मूर्तियाँ ।

* तारा देवी की प्रतिमा पर नागरी लिपि: नागरी देवनागरी लिपि का पूर्ववर्ती संस्करण था और इसके शब्द बौद्ध धार्मिक संबद्धता को दर्शाते हैं।

* बुद्ध की छह मूर्तियाँ भूमिस्पर्श मुद्रा में ( दाहिने हाथ की पाँच अँगुलियों द्वारा पृथ्वी की ओर इशारा, जो बुद्ध के ज्ञान का प्रतीक हैं) प्राप्त हुई हैं।

* एक मूर्ति कुंडलित मुकुट और चक्र के साथ मिली है जो शैव देवता माहेश्वरी की प्रतीत होती है और इस क्षेत्र में सांस्कृतिक समावेश का संकेत देती है।

 

 

देवी तारा की मूर्तियों की उपस्थिति इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा के प्रसार को दर्शाती है।वज्रयान का अर्थ है "वज्र का वाहन", जिसे तांत्रिक बौद्ध धर्म के नाम से भी जाना जाता है।यह बौद्ध शाखा भारत में लगभग 900 ई. में विकसित हुई।यह गूढ़ तत्त्वों पर आधारित है और बाकी बौद्ध शाखाओं की तुलना में एक बहुत जटिल क्रिया पद्धति पर आधारित है।