आकाशवाणी सार (27-Sept-2020)
AIR News Gist

Posted on September 27th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

मुख्य समाचार-

 

* प्रधानमंत्री ने कहा- संयुक्त राष्ट्र में सुधार समय की आवश्यकता। वैश्विक संस्था में भारत की भूमिका बढ़ाने की पैरवी की।

* भारत और श्रीलंका आतंकवाद से मुकाबले और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमत।

* विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कोरोना महामारी के खिलाफ संघर्ष में प्रतिबद्धता और एकजुटता दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

* राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी।

* स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन ने वर्ष 2025 तक जन स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल पर खर्च को दो दशमलव पांच प्रतिशत तक बढाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

 

समाचार विस्तार से- 

 

* कृतज्ञ राष्‍ट्र महात्‍मा गांधी की 150वां जयंती वर्ष मना रहा है। महात्‍मा गांधी के जीवन में ऐसी कई घटनाएं हुई जिनसे उनके जीवन और पूरे राष्‍ट्र पर गहरा असर हुआ। ऐसी ही एक ऐतिहासिक घटना सितम्‍बर, 1921 में गांधी जी की मदुरै यात्रा है। गांधीवादी इतिहासकारों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान ही गांधी जी ने अपनी सामान्‍य पोशाक के नाम पर धोती और शॉल को अपनाया।

महात्‍मा गांधी जब भारत के दक्षिणी राज्‍य तमिलनाडु आए थे तब यह तत्‍कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्‍सा था। मदुरै में गांधी संग्रहालय निदेशक नन्‍दा राव ने इस संबंध में जानकारी दी-

मदुरै और महात्‍मा गांधी का गहरा संबंध रहा है। उन्‍होंने पांच बार मदुरै यात्रा की थी। 1919 के दौरान रॉलेट एक्‍ट के विरोध में महात्‍मा गांधी मदुरै आए थे। उसके बाद 1921 में उन्‍होंने मदुरै की यात्रा की। इसी दौरान उन्‍होंने सामान्‍य पोशाक छोड़कर केवल धोती अपनाई। गांधी जी ने उसके बाद फिर कभी कमीज़ नहीं पहनी। स्‍वदेशी आंदोलन के दौरान गांधी जी 1927 में भी मदुरै आए थे। इसके बाद हरिजन कल्‍याण के लिए 1934 में उन्‍होंने मदुरै की यात्रा की।

मदुरै के गांधी संग्रहालय में ऐसी 14 वस्‍तुएं रखी गई हैं जो गांधी जी ने व्‍यक्तिगत रूप से इस्‍तेमाल की थी। सामान्‍य पोशाक छोड़कर गांधी जी द्वारा धोती अपनाने की घटना के साथ मदुरै का नाम हमेशा-हमेशा के लिए महात्‍मा गांधी से जुड़ गया है।

..................

* प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार समय की आवश्‍यकता है। कल शाम संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के 75वें अधिवेशन को सम्‍बोधित करते हुए श्री मोदी ने सवाल किया कि भारत को कब तक इस विश्‍वसंस्‍था के निर्णायक ढांचे से अलग रखा जाएगा? उन्‍होंने कहा कि विश्‍व में बड़ा परिर्वतन आ चुका है और अब दुनिया वह नहीं रह गई है जो 1945 में थी। उन्‍होंने कहा कि तब से कई लड़ाइयां, गृहयुद्ध और आतंकवादी हमलों ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है।

हमारे भविष्‍य की आवश्‍यकताएं और चुनौतियां अब कुछ और हैं, इसलिए आज पूरे विश्‍व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्‍था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्‍वरूप क्‍या आज भी प्रासंगिक है। अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्‍त राष्‍ट्र की उपलब्धियों का मूल्‍यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं, लेकिन इसके साथ ही अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्‍त राष्‍ट्र के सामने गंभीर आत्‍म-मंथन की आवश्‍यकता खड़ी करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को इस बात का गर्व है कि वह संयुक्‍त राष्‍ट्र के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक है। उन्‍होंने कहा कि भारत के लोग संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की प्रक्रिया के पूरा होने का लम्‍बे समय से इंतजार कर रहे हैं।

भारत में 130 करोड़ से ज्‍यादा लोगों का इस वैश्विक संस्‍था पर जो अटूट विश्‍वास है वो आपको बहुत कम देशों में मिलेगा, लेकिन ये भी उतनी ही बड़ी सच्‍चाई है कि भारत के लोग संयुक्‍त राष्‍ट्र के रिफॉर्म को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है। उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के शांति अभियानों में शहीद होने वाले सैनिकों में सबसे अधिक संख्‍या भारत के सैनिकों की है। उन्‍होंने कहा कि प्रत्‍येक भारतीय, संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत की और बड़ी भूमिका की अपेक्षा करता है।

भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है, न कि अपने निहित स्‍वार्थों के बारे में। भारत की नीतियां हमेशा से इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं। भारत की नेबरहुड फर्स्‍ट पॉलिसी से लेकर, एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी तक सिक्‍योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रिजनल इसकी सोच या फिर इं‍डो-पेसिफिक क्षेत्र के प्रति हमारे विचार सभी में इस दर्शन की झलक दिखाई देती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अन्‍य देशों से साझेदारी हमेशा सिद्धांतों से निर्देशित रही है। उन्‍होंने यह भी कहा कि किसी एक देश के प्रति भारत की मित्रता किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान भी भारत की दवा कम्‍पनियों ने दुनिया के डेढ़ सौ से भी अधिक देशों को जरूरी दवाओं की सप्‍लाई जारी रखी।

विश्‍व के सबसे बड़े वैक्‍सीन उत्‍पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्‍वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्‍सीन प्रोडक्‍शन और वैक्‍सीन डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। हम भारत में और अपने पड़ोस में फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल्‍स की तरफ बढ़ रहे हैं। वैक्‍सीन की डिलीवरी के लिए कोल्‍ड चेन और स्‍टोरेज जैसी क्षमता बढ़ाने में भी भारत सभी की मदद करेगा।

श्री मोदी ने कहा कि अगले साल जनवरी से भारत संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अ‍स्‍थायी सदस्‍य की भूमिका भी निभाएगा। उन्‍होंने कहा कि भारत दुनिया में शांति, सुरक्षा और खुशहाली के लिए हमेशा अपनी आवाज बुलंद करता रहेगा।

विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्‍ठा और इसके अनुभव को हम विश्‍व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्‍याण से जग कल्‍याण का है। भारत की आवाज मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्‍यों के दुश्‍मन, आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्‍करी, ड्रग्‍स, मनीलॉड्रिंग के खिलाफ है। भारत की संस्‍कृतिक धरोहर, संस्‍कार, हजारों वर्षों के अनुभव हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे।

..................

* भारत और श्रीलंका आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों के बीच वर्चुअल द्विपक्षीय बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया। इसके अनुसार दोनों देश प्राथमिकता के क्षेत्रों के अनुरूप भागीदारी का सार्थक और सक्षम विकास जारी रखने पर सहमत हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्ष ने द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हितों के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत और श्रीलंका के बीच बौद्ध धर्म से संबंधित सम्‍पर्कों को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ करोड डॉलर की अनुदान सहायता की घोषणा की। विदेश मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव अमित नारंग ने बताया कि इस अनुदान से दोनों देशों के लोगों के बीच बौद्ध धर्म से संबंधित क्षेत्रों में सम्‍बंध बढ़ाने में मदद मिलेगी।

श्री राजपक्ष ने कोविड-19 से लड़ाई में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पड़ोसी देशों को वरीयता देने और सागर सिद्धांत के तहत भारत, श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को सबसे अधिक प्राथमिकता देता है।

भारत और श्रीलंका के बहुमुखी संबंध हजारों साल पुराने हैं। भारत और श्रीलंका बिम्‍स्‍टेक, आईओआरए, सार्क मंचों पर भी घनिष्‍ठ सहयोग करते हैं। आपकी पार्टी की हाल ही की जीत के बाद भारत और श्रीलंका संबंधों में एक नये ऐतिहासिक अध्‍याय को जोड़ने का बहुत अच्‍छा अवसर बना है। दोनों देशों के लोग नई आशा और उत्‍साह के साथ हमारी ओर देख रहे हैं।

दोनों नेताओं ने इस बात पर प्रसन्नता व्‍यक्त की कि भारत और श्रीलंका ने कोविड महामारी से निपटने में मिलकर काम किया। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका में कोविड से लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य और अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ने वाले प्रभाव को कम से कम करने के लिए भारत की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

दोनों नेता नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए।

..................

* कर्नाटक में मुख्‍यमंत्री बीएस येडियुरप्‍पा सरकार ने विधानसभा में विश्‍वास मत जीत लिया है। छह घंटे बहस के बाद विपक्षी कांग्रेस नेता सिद्धरमैया का अविश्‍वास प्रस्‍ताव ध्‍वनि मत से गिर गया। मुख्‍यमंत्री ने श्री सिद्धरमैया के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद राज्‍य ने काफी अच्‍छा काम किया है।

..................

* शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन - एनडीए से नाता तोड़ लिया है। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कल पार्टी की कोर कमेटी की चार घंटे तक चली बैठक के बाद यह घोषणा की। चंड़ीगढ़ में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कोर कमेटी ने आपात बैठक में किसान विधेयकों के मुद्दे को लेकर सर्वसम्मति से एनडीए अलग होने का फैसला लिया।

..................

* सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सामान्‍य मोटर वाहन नियमावली में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। सूचना प्रौद्योगिकी पोर्टल के माध्‍यम से जरिए वाहनों के कागजात के रखरखाव की व्‍यवस्‍था लागू करने के लिए यह संशोधन किए गए हैं। अधिसूचना इस वर्ष पहली अक्‍टूबर से प्रभावी होगी।

मंत्रालय ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के इस्‍तेमाल और ई-निगरानी से देश में यातायात नियमों को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा। इससे वाहन चालकों की परेशानी दूर होगी और नागरिकों के लिए सडक परिवहन सुगम होगा।

यह व्‍यवस्‍था की गई है कि यदि इलेक्‍ट्रानिक माध्‍यम से कागजात का विवरण वैध पाया गया तो निरीक्षण के लिए ऐसे दस्‍तावेजों को व्‍यक्तिगत रूप से जमा कराने की मांग नहीं की जाएगी।

..................

* राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों को आज मंजूरी दे दी। ये विधेयक किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक 2020 तथा आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 है। इन कानूनों का उद्देश्य देश की कृषि व्यवस्था में बदलाव लाना और किसानों की आय बढ़ाना है।

 

किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 के प्रावधान किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने और खरीदने की अनुमति देते हैं।

 

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक 2020 में किसी भी उपज के लिए बुआई से पहले समझौता करने के प्रावधान हैं। इसके अनुसार किसानों को कृषि उपज के मूल्य का आश्वासन मिल सकेगा।

 

आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 के तहत केंद्र सरकार ने युद्ध और अकाल की असाधारण स्थिति में ही खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को विनियमित करने का प्रावधान किया है।

 

नए कानून का उद्देश्य किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराने के लिए कृषि उपज विपणन समिति - ए पी एम सी मण्डी के अतिरिक्त अपनी उपज बेचने का विकल्प देना है। यह मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य - एम एस पी पर खरीद प्रणाली के अतिरिक्त होगा। इससे किसानों की आय में स्थिरता आएगी। इन कानूनों से ऐसा माहौल तैयार होगा जिसमें किसान और व्यापारी को कृषि उपज खरीदने और बेचने की आजादी होगी। इससे किसानों को अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे और उनकी बाजार लागत घटेगी। इन प्रावधानों से किसानों को अपनी उपज के बेहतर दाम मिल सकेंगे।

------------

* राष्‍ट्रपति रामनाथ कोंविद ने हाल ही में संसद में पारित जम्‍मू-कश्‍मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को आज अपनी मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के अनुसार कश्‍मीरी, डोगरी, हिन्‍दी, अंग्रेजी और उर्दू केन्‍द्रशासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर की आधिकारिक भाषा होंगी। 2011 की जनगणना के अनुसार वर्तमान में जम्‍मू-कश्‍मीर में जनसंख्‍या एक करोड़ 21 लाख से ज्‍यादा है। यहां उर्दू बोलने वाले लोगों की संख्‍या बहुत कम है।


------------

* स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने आज कहा कि सरकार वर्ष 2025 तक जनस्वास्थ्य पर कुल खर्च, सकल घरेलू उत्पाद - जी डी पी के मौजूदा एक दशमलव एक पांच प्रतिशत से बढ़ा कर दो दशमलव पांच प्रतिशत तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग के स्वास्थ्य पर उच्च स्तरीय समूह ने कहा है कि मौजूदा महामारी को देखते हुए अगले पांच वर्ष के दौरान स्वास्थ्य देखभाल के खर्च में अहम् वृद्धि की जानी चाहिए। डॉक्टर हर्षवर्धन सोशल मीडिया पर संडे संवाद के तीसरे संस्करण में सवालों के जवाब दे रहे थे।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना महामारी के खिलाफ ढील बरतने पर चेतावनी देते हुए कहा है कि धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना के दौरान भी मास्क पहनने चाहिए। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से कोविड के संबंध में जागरूकता फैलाने को कहा और मास्क पहनने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ यह जंग तभी जीती जा सकती है जब सरकार और समाज मिलकर काम करेंगे।

 

उन्होंने कहा कि सीरो सर्वे सर्वेक्षण की रिपोर्ट पढ़कर लोगों को ढ़ील नहीं बरतनी चाहिए। मई 2020 में किए गए पहले सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ था कि राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण की दर शून्य दशमलव सात तीन प्रतिशत है। दूसरे सर्वेक्षण से यह पता चला कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता से भारत की आबादी अभी बहुत दूर है।

 

समाचार पत्रों की सुर्खियों से-

 

* प्रधानमंत्री के संयुक्‍त राष्‍ट्र में दिए गए संबोधन को आज अलग-अलग शीर्षकों से लगभग सभी अखबारों ने सुर्खियों में दिया है। वीर अर्जुन ने लिखा है - प्रधानमंत्री ने स्‍पष्‍ट तौर पर पूछा कि भारत को निर्णय प्रकिया ढांचे से कब तक अलग रखा जाएगा। नवभारत टाइम्‍स ने बड़े अक्षरों में लिखा है - पीएम का यूएन से सवाल, हमें फैसले का हक कब। भारत ने स्‍थाई सदस्‍यता का दावा ठोका। अमर उजाला के शब्‍द हैं - पीएम ने पूछा, महामारी के खिलाफ लड़ाई में कहां था संयुक्‍त राष्‍ट्र?

 

* भारतीय जनता पार्टी की नई टीम की घोषणा और प्रमुख चेहरों की घोषणा की खबर लगभग सभी अखबारों के मुख पृष्‍ठ पर है। हरिभूमि ने लिखा है - तेजस्‍वी सूर्या को युवा मोर्चे की कमान। हिन्‍दुस्‍तान ने लिखा है - संगठन में बड़े बदलाव, युवाओं को मौका।

 

* राष्‍ट्रीय सहारा ने कोरोना संक्रमण मामलों में स्‍वस्‍थ होने की दर में और सुधार को महत्‍व दिया है। हिन्‍दुस्‍तान ने पहले पन्‍ने पर विशेष आलेख में लिखा है - स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के बीते 14 दिन के आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि संक्रमण की चेन टूट रही है।