अन्तर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (7-Sept-2020)^यानोमामी जनजाति तथा ब्लड गोल्ड (Yanomami people and blood gold)
Posted on September 7th, 2020
1980 के दशक के बाद से, यनोमामी जनजाति को अवैध सोने की खानों के कारण होने वाले हमलों का सामना करना पड़ रहा है।यह माना जाता है, कि यानोमामी जनजाति के क्षेत्रों से अवैध रूप से खनन किया गया सोना वर्ष 2018 से भारत में लाया जा रहा है।इस क्षेत्र से निकले सोने को ‘खूनी सोना’ (ब्लड गोल्ड) का नाम दिया गया है, तथा हाल ही में उन्होंने भारत सरकार से इस सोने की खरीद पर रोक लगाने के लिए कहा है।
यानोमामी जनजाति के लोग, दक्षिण अमेरिका के वेनेज़ुएला एवं ब्राज़ील की सीमा पर अमेज़न वर्षावन में निवास करते हैं, तथा सर्वाइवल इंटरनेशनल के अनुसार यह दक्षिण अमेरिका की सबसे बड़ी एकाकी जनजाति है।यानोमामी जनजाति के लोग सामूहिक व्यवस्था में बड़े आकार के गोलाकार घर में रहते हैं, जिसे शाबोनोस (Shabonos) कहा जाता है तथा इसमें एक साथ 400 लोग तक रह सकते हैं।यानोमामी में प्रथा है, जिसमे शिकारी, अपने द्वारा शिकार किये गए मांस को नहीं खाता है।यानोमामी सभी लोगों को एक समान मानते हैं तथा इनमे कोई मुखिया नहीं होता है। इसके सभी निर्णय लंबी चर्चा और बहस के बाद सर्वसम्मति पर आधारित होते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (7-Sept-2020)यानोमामी जनजाति तथा ब्लड गोल्ड (Yanomami people and blood gold)
1980 के दशक के बाद से, यनोमामी जनजाति को अवैध सोने की खानों के कारण होने वाले हमलों का सामना करना पड़ रहा है।यह माना जाता है, कि यानोमामी जनजाति के क्षेत्रों से अवैध रूप से खनन किया गया सोना वर्ष 2018 से भारत में लाया जा रहा है।इस क्षेत्र से निकले सोने को ‘खूनी सोना’ (ब्लड गोल्ड) का नाम दिया गया है, तथा हाल ही में उन्होंने भारत सरकार से इस सोने की खरीद पर रोक लगाने के लिए कहा है।
यानोमामी जनजाति के लोग, दक्षिण अमेरिका के वेनेज़ुएला एवं ब्राज़ील की सीमा पर अमेज़न वर्षावन में निवास करते हैं, तथा सर्वाइवल इंटरनेशनल के अनुसार यह दक्षिण अमेरिका की सबसे बड़ी एकाकी जनजाति है।यानोमामी जनजाति के लोग सामूहिक व्यवस्था में बड़े आकार के गोलाकार घर में रहते हैं, जिसे शाबोनोस (Shabonos) कहा जाता है तथा इसमें एक साथ 400 लोग तक रह सकते हैं।यानोमामी में प्रथा है, जिसमे शिकारी, अपने द्वारा शिकार किये गए मांस को नहीं खाता है।यानोमामी सभी लोगों को एक समान मानते हैं तथा इनमे कोई मुखिया नहीं होता है। इसके सभी निर्णय लंबी चर्चा और बहस के बाद सर्वसम्मति पर आधारित होते हैं।