स्वास्थ्य समसामयिकी 1 (18-Apr-2021)
‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’
('Vaccine Nationalism')

Posted on April 17th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में, ‘ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क’ (AIPSN) ने कहा है कि ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ का विचार पूरी तरह से गलत है, और इसे त्याग देना चाहिए।

 

संबंधित प्रकरण:

केंद्र सरकार द्वारा देश से होने वाले निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं,  जिससे मैत्रीपूर्ण विकासशील देशों को टीकों की मुफ्त आपूर्ति तथा निम्न-आय वाले देशों को वैक्सीन आपूर्ति करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय COVAX कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान से अर्जित की गई ‘अच्छी साख’ खोने की संभावना है।

 

वैक्सीन राष्ट्रवाद क्या है?

वैक्सीन राष्ट्रवाद (Vaccine Nationalism) की स्थिति में कोई देश किसी वैक्सीन की खुराक को अन्य देशों को उपलब्ध कराने से पहले अपने देश के नागरिकों या निवासियों के लिए सुरक्षित कर लेता है।

 

इसके लिए सरकार तथा वैक्सीन निर्माता के मध्य खरीद-पूर्व समझौता कर लिया जाता है।

 

अतीत में इसका उपयोग:

वैक्सीन राष्ट्रवाद नयी अवधारणा नहीं है। वर्ष 2009 में फ़ैली H1N1फ्लू महामारी के आरंभिक चरणों में विश्व के धनी देशों द्वारा H1N1 वैक्सीन निर्माता कंपनियों से खरीद-पूर्व समझौते किये गए थे।

 

उस समय, यह अनुमान लगाया गया था कि, अच्छी परिस्थितियों में, वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की अधिकतम दो बिलियन खुराकों का उत्पादन किया जा सकता है।

 

अमेरिका ने समझौता करके अकेले 600,000 खुराक खरीदने का अधिकार प्राप्त कर लिया। इस वैक्सीन के लिए खरीद-पूर्व समझौता करने वाले सभी देश विकसित अर्थव्यवस्थायें थे।

 

संबंधित चिंताएँ:

वैक्सीन राष्ट्रवाद, किसी बीमारी की वैक्सीन हेतु सभी देशों की समान पहुंच के लिए हानिकारक है।

 

यह अल्प संसाधनों तथा मोल-भाव की शक्ति न रखने वाले देशों के लिए अधिक नुकसान पहुंचाता है।

 

यह विश्व के दक्षिणी भागों में आबादी को समय पर महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य-वस्तुओं की पहुंच से वंचित करता है।

 

वैक्सीन राष्ट्रवाद, चरमावस्था में, विकासशील देशों की उच्च-जोखिम आबादी के स्थान पर धनी देशों में सामान्य-जोखिम वाली आबादी को वैक्सीन उपलब्ध करता है।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान टीकों के समान वितरण हेतु फ्रेमवर्क तैयार किये जाने की आवश्यकता है। इसके लिए इन संस्थाओं को आने वाली किसी महामारी से पहले वैश्विक स्तर पर समझौता वार्ताओं का समन्वय करना चाहिए।

 

समानता के लिए, वैक्सीन की खरीदने की क्षमता तथा वैश्विक आबादी की वैक्सीन तक पहुच, दोनों अपरिहार्य होते है।