अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (3-Feb-2019)
इस्लामिक क्रांति की वर्षगांठ पर ईरान ने किया क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण
(Successful test of cruise missile by Iran on the anniversary of the Islamic Revolution)

Posted on February 3rd, 2019 | Create PDF File

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ईरान ने 1979 की इस्लामिक क्रांति की वर्षगांठ के अवसर पर 1,350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक मार करने वाले नये क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।



सरकारी टीवी चैनल ने मिसाइल परीक्षण का प्रसारण किया। टीवी के अनुसार देश के रक्षा मंत्री आमिर हातमी का कहना है, ‘‘होविज क्रूज मिसाइल का 1,200 किलोमीटर मारक क्षमता का परीक्षण सफल रहा। उसने सटीक निशाना लगाया।’’ 



उन्होंने कहा, ‘‘यह न्यूनतम समय में तैयार हो सकती है और बहुत कम ऊंचाई पर उड़ान भरता है।’’ 



हातमी ने होविज मिसाइलों को ईरान के लंबे हाथों की संज्ञा दी है। यह मिसाइल 2015 में 700 किलोमीटर दूरी की मारक क्षमता के साथ विकसित सुमार श्रेणी के क्रूज मिसाइलों का हिस्सा है।



तेहरान में ‘रक्षा उपलब्धियों के 40 साल’ शीर्षक के तहत आयोजित रक्षा प्रदर्शनी के दौरान होविज मिसाइलों का प्रदर्शन किया गया था।



ईरान में इस्लामिक क्रांति की शुरुआत और पश्चिम के प्रति सहानुभूति रखने वाले शाह को सत्ता से हटाने की वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार से समारोहों का आयोजन हो रहा है। यह 10 दिन तक चलेगा।



गुरुवार को हजारों की संख्या में लोग इस्लामिक क्रांति के अगुवा और मौजूदा ईरान के संस्थापक अयातुल्ला रुहोल्ला खुमैनी की कब्रगाह पर जुटे थे।



ईरान ने स्वैच्छिक रूप से अपनी मिसाइलों की मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर तक नियंत्रित की हुई है। इसके बावजूद उसकी मिसाइलें इज़राइल और मध्य एशिया में बने पश्चिमी देशों के सैन्य अड्डों तक पहुंच सकती हैं।



वाशिंगटन और उसके सहयोगी देशों का आरोप है कि ईरान अपनी मिसाइल क्षमता बढ़ा रहा है जिससे यूरोप को खतरा महसूस हो रहा है।

 

***ईरान की इस्लामिक क्रांति-

 

ईरान की इस्लामिक क्रांति सन् 1979 में हुई थी जिसने ईरान के शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी को अपदस्थ कर, आयतुल्लाह रुहोल्लाह ख़ोमैनी के अधीन एक लोकप्रिय धार्मिक गणतंत्र की स्थापना की। शाह 1941 से सत्ता में थे लेकिन उन्हें निरंतर धार्मिक नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ता था, इससे निपटने के लिए शाह ने इस्लाम की भूमिका को कम करने, इस्लाम से पहले की ईरानी सभ्यता की उपलब्धियां गिनाने और ईरान को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने के लिए कई क़दम उठाए जिससे मुल्लाह और चिढ़ गए और उन्हें अमरीका का पिट्ठू कहने लगे। आयतुल्लाह ख़ोमैनी भी शाह के सुधारों के ख़िलाफ़ थे, तभी तो उन्हें गिरफ़्तार करके देश से निकाल दिया गया था, इस बीच असंतोष बढ़ा और साथ ही शाह का दमन चक्र भी, लेकिन जब सरकारी प्रेस में आयतुल्लाह के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक कहानी छपी तो लोग भड़क उठे।

 

दिसबर 1978 में कोई बीस लाख लोग शाह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने शाहयाद चौक में जमा हुए, लेकिन इस बार सेना ने उनपर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया, फिर प्रधानमंत्री डॉ शापोर बख़्तियार की मांग पर सोलह जनवरी 1979 को शाह और उनकी पत्नी ईरान छोड़कर चले गए, प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया और ख़ोमैनी को ईरान आने दिया, प्रधानमंत्री चुनाव कराना चाहते थे लेकिन ख़ोमैनी ने उनकी एक न चलने दी और ख़ुद ही एक अंतरिम सरकार का गठन कर लिया।