व्यक्ति विशेष समसामियिकी 3 (11-Mar-2021)
सावित्रीबाई फुले
(Savitribai Phule)

Posted on March 11th, 2021 | Create PDF File

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3 जनवरी 1831 को सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था एवं उनके पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था।

 

मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही इनका विवाह ज्योतिराव फुले के साथ हो गया जो कि एक विख्यात विचारक, समाजसेवी लेखक और दार्शनिक थे।

 

उन्नीसवीं सदी के दौर में भारतीय महिलाओं की स्थिति बड़ी ही दयनीय थीं। जहां एक ओर महिलाएं पुरुषवादी वर्चस्व की मार झेल रही थीं, तो दूसरी ओर समाज की रूढ़िवादी सोच के कारण तरह-तरह की यातनाएं व अत्याचार सहने को विवश थीं। ऐसे विकट समय में सावित्रीबाई फुले ने समाज सुधारक बनकर महिलाओं को सामाजिक शोषण से मुक्त करने व उनके समान शिक्षा व अवसरों के लिए पुरजोर प्रयास किया।

 

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले।

 

वर्ष 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना सावित्रीबाई फुले ने की थी। सावित्रीबाई फुले मात्र इन स्कूलों में केवल पढ़ाती नहीं थी बल्कि लड़कियां स्कूलों को ना छोड़े इसके लिए वह मदद भी प्रदान करती थी। गौरतलब है कि सावित्रीबाई फुले को प्रथम शिक्षिका होने का श्रेय भी जाता है।

 

बिना पुरोहितों के शादी एवं दहेज प्रथा को हतोत्साहित करने के साथ अंतर्जातीय विवाह करवाने हेतु उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की।

 

विधवा महिलाओं को सहारा देने के लिए उन्होंने पुणे में महिला सेवा मंडल की स्थापना की।

 

समाज में नई जागृति लाने के लिए कवयित्री के रूप में सावित्रीबाई फुले ने 2 काव्य पुस्तकें ''काव्य फुले'', ''बावनकशी सुबोधरत्नाकर'' भी लिखीं।

 

महाराष्ट्र में प्लेग फैल जाने के उपरांत उन्होंने पुणे में अपने पुत्र के साथ मिलकर 1897 में एक अस्पताल खोला जिससे प्लेग पीड़ितों का इलाज किया जा सके। हालांकि मरीजों की सेवा करते हुए वह स्वयं प्लेग से पीड़ित हो गई और 10 मार्च1897 को इस दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दिया।