पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (27-Nov-2019)^सांभर झील के पानी की समय समय पर होगी जांच (Sambhar lake water will be investigated from time to time)
Posted on November 27th, 2019
सांभर झील के आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में प्रवासी व अन्य पक्षियों की मौत के मद्देनजर अब झील के पानी की समय-समय पर जांच होगी और इसका समुचित डेटा रखा जायेगा।
जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बुधवार को यहां जिला पर्यावरण समिति की बैठक में यह निर्देश दिये।
यादव ने कहा कि 'वर्तमान त्रासदी में यहां एल्गी टॉक्सेनिटी नहीं थी लेकिन इसकी आशंका को देखते हुए अब समय-समय पर झील के पानी की बायलॅाजिकल एवं कैमिकल जांच कर इसका डेटा भी रिकॉर्ड एवं शेयर किया जाना चाहिए।'
उल्लेखनीय है कि सांभर झील इलाके में हाल ही में हजारों की संख्या में प्रवासी व अन्य पक्षियों की मौत हुई है।
बैठक में क्षेत्रिय वन अधिकारी क्षेत्रिय वन अधिकारी (डीएफओ) कविता सिंह ने बताया कि मंगलवार तक झील के जयपुर क्षेत्र में 9358 मृत पक्षियों के अवशेष हटाए जा चुके हैं, 632 पक्षियों को बचाया गया है एवं 143 को रिंग पहनाई गई है।
यादव ने कहा कि सांभर झील में तत्परता से समय पर बचाव कार्य प्रारम्भ किए गए, जिससे लगातार पक्षियों की मौतों में कमी आई है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (27-Nov-2019)सांभर झील के पानी की समय समय पर होगी जांच (Sambhar lake water will be investigated from time to time)
सांभर झील के आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में प्रवासी व अन्य पक्षियों की मौत के मद्देनजर अब झील के पानी की समय-समय पर जांच होगी और इसका समुचित डेटा रखा जायेगा।
जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बुधवार को यहां जिला पर्यावरण समिति की बैठक में यह निर्देश दिये।
यादव ने कहा कि 'वर्तमान त्रासदी में यहां एल्गी टॉक्सेनिटी नहीं थी लेकिन इसकी आशंका को देखते हुए अब समय-समय पर झील के पानी की बायलॅाजिकल एवं कैमिकल जांच कर इसका डेटा भी रिकॉर्ड एवं शेयर किया जाना चाहिए।'
उल्लेखनीय है कि सांभर झील इलाके में हाल ही में हजारों की संख्या में प्रवासी व अन्य पक्षियों की मौत हुई है।
बैठक में क्षेत्रिय वन अधिकारी क्षेत्रिय वन अधिकारी (डीएफओ) कविता सिंह ने बताया कि मंगलवार तक झील के जयपुर क्षेत्र में 9358 मृत पक्षियों के अवशेष हटाए जा चुके हैं, 632 पक्षियों को बचाया गया है एवं 143 को रिंग पहनाई गई है।
यादव ने कहा कि सांभर झील में तत्परता से समय पर बचाव कार्य प्रारम्भ किए गए, जिससे लगातार पक्षियों की मौतों में कमी आई है।