अंतर्राष्ट्रीय समसामयिकी 1(8-November-2023)रूस व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि से बाहर(Russia out of comprehensive nuclear test ban treaty)
Posted on November 8th, 2023 | Create PDF File
हाल ही में रूस व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) से बाहर हो गया है।
CTBT सभी प्रकार के सैन्य तथा नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिये सभी परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाती है।
इस संधि पर वर्ष 1994 में जिनेवा में निरस्त्रीकरण सम्मेलन में चर्चा की गई, साथ ही इसको संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया।
CTBT पर रूस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 187 राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे, परंतु यह लागू नहीं हुई क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित आठ देशों द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
भारत द्वारा अभी तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये गए हैं।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) :
CTBT की उत्पत्ति :
CTBT एक बहुपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाना है, भले ही वे सैन्य अथवा शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये हों।
CTBT की जड़ें शीत युद्ध के युग में निहित हैं जब संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु हथियारों को प्राप्त करने में लगे थे तथा कई परमाणु परीक्षण कर रहे थे।
वर्ष 1945 से लेकर वर्ष 1996 तक विश्व स्तर पर 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण हुए, जिनमें से अमेरिका ने 1,032 परीक्षण और सोवियत संघ ने 715 परीक्षण किये।
परमाणु परीक्षणों के पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रभावों के विषय में चिंताओं के जवाब में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने परीक्षण को सीमित करने के प्रयास किये।
वर्ष 1963 की सीमित परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (Limited Nuclear Test-Ban Treaty- LTBT) ने वायुमंडल, बाह्य अंतरिक्ष और जल के भीतर परमाणु परीक्षण पर रोक लगा दी लेकिन भूमिगत परीक्षणों को अनुमति दी।
वर्ष 1974 की थ्रेसहोल्ड टेस्ट प्रतिबंध संधि (TTBT), 150 किलोटन से अधिक की क्षमता वाले परीक्षणों पर रोक लगाकर एक परमाणु "सीमा" स्थापित करती है, फिर भी यह सभी परमाणु परीक्षणों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने में विफल रही है।
वर्तमान स्थिति :
इस पर 187 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं और 178 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालाँकि यह संधि तब तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हो सकती जब तक कि इसे 44 विशिष्ट देशों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। इनमें से आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है, ये हैं:
चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इज़राइल, ईरान, मिस्र व संयुक्त राज्य अमेरिका।