राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (29-July-2021)
‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना’
('Pandit Deen Dayal Upadhyay Unnat Agricultural Education Scheme')

Posted on July 29th, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

इस योजना के तहत, अब तक 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 108 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।

 

PDDUUKSY :

 

‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना’ (Pandit Deen Dayal Upadhyay Unnat Krishi Shiksha Yojana – PDDUUKSY) का आरंभ वर्ष 2016 में, पर्यावरणीय संपोषण और मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने हेतु जैविक खेती, प्राकृतिक खेती और ‘गाय आधारित अर्थव्यवस्था’ (Cow-Based Economy) में मानव संसाधन विकसित करने के लिए किया गया था।

 

यह योजना ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (ICAR) के शिक्षा प्रकोष्ठ द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।

 

उद्देश्य:

 

ग्रामीण स्तर पर, जैविक खेती और संवहनीय कृषि के विकास हेतु प्रासंगिक ‘कुशल मानव संसाधन’ का निर्माण करना।

 

ग्रामीण भारत को, जैविक खेती या प्राकृतिक खेती अथवा ग्रामीण अर्थव्यवस्था और संवहनीय कृषि के क्षेत्र में तकनीकी सहायता प्रदान करना।

 

ग्राम स्तर पर स्थापित केन्द्रों के माध्यम से, इस योजना की अन्य गतिविधियों का विस्तार करना।

 

योजना के तहत निर्दिष्ट केंद्रों द्वारा इस पहल के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन, किसानों का चयन किया जा सकता है:

 

किसानों का चयन किए जाने से पहले, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती और गाय आधारित अर्थव्यवस्था में उनकी रुचि के संदर्भ में उनका आंकलन किया जाना आवश्यक होगा।

 

वर्तमान में जैविक खेती, प्राकृतिक खेती या गाय आधारित अर्थव्यवस्था पद्धति का प्रयोग कर रहे किसानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

 

सभी समुदायों के किसानों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।

 

चयन में कोई लैंगिक भेदभाव शामिल नहीं होना चाहिए।

 

‘गाय आधारित अर्थव्यवस्था’ का महत्व :

आधुनिक राष्ट्र के निर्माण के आरंभ में सोची गई पद्धतियों के तुलना में ‘भारत की परंपराएं और प्रथाएं, भले ही इनमे से कुछ, कहीं ज्यादा कीमती है; और इसीलिये इन्ही परम्पराओं और प्रथाओं के अनुसार देश में अपनी गायों के प्रति ऐसा व्यवहार किया जाता है।

 

यह पालतू पशु, प्राचीन काल से ही ग्रामीण भारत का अभिन्न अंग रहा है।

 

कृषि के संबंध में, भारतीय गाय की नस्लों में, बेहतर गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन करने की ‘आनुवंशिक क्षमता’ साबित हो चुकी है।

 

भारतीय गायों के दूध में ‘संयुग्मित लिनोलिक एसिड’ (Conjugated Linoleic AcidCLA) का उच्च स्तर पाया जाता है, जोकि कैंसर रोधी होता है।

 

इसके अलावा, गोमूत्र का उपयोग जैव-उर्वरक और कीट- निरोधक के रूप में किया जा सकता है, जिससे कम लागत के साथ फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

 

इन सब पहलुओं को देखते हुए, सरकार द्वारा ‘गाय-पालन’ को अपने ध्यान देने वाले प्रमुख केंद्रीय क्षेत्रों में माना जाता है।