दिवस विशेष समसामयिकी 2(29-June-2022)^राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस^(National Statistics Day)
Posted on June 29th, 2022
राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली (National Statistical System) की स्थापना में प्रशांत चंद्र महालनोबिस के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिये उनकी जयंती (29 जून) को हर साल सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन का उद्देश्य यह बताना है कि दैनिक जीवन में सांख्यिकी के उपयोग को लोकप्रिय बनाना और जनता को इस बात के लिये जागरूक करना कि नीतियों को आकार देने तथा तैयार करने में सांख्यिकी किस तरह सहायक है।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारत में आधुनिक सांख्यिकी का जनक माना जाता है, उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute- ISI) की स्थापना की, योजना आयोग को आकार दिया (जिसे 1 जनवरी, 2015 को नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया) और बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण के लिये कार्यप्रणाली का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने रैंडम सैंपलिंग की विधि का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण करने तथा परिकलित रकबे/पहले से अनुमानित क्षेत्रफल और फसल पैदावार का आकलन करने हेतु नवीन तकनीकों की शुरुआत की। उन्होंने 'फ्रैक्टाइल ग्राफिकल एनालिसिस' नामक एक सांख्यिकीय पद्धति भी तैयार की, जिसका उपयोग विभिन्न समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बीच तुलना करने के लिये किया जाता है।
दिवस विशेष समसामयिकी 2(29-June-2022)राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस(National Statistics Day)
राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली (National Statistical System) की स्थापना में प्रशांत चंद्र महालनोबिस के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिये उनकी जयंती (29 जून) को हर साल सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन का उद्देश्य यह बताना है कि दैनिक जीवन में सांख्यिकी के उपयोग को लोकप्रिय बनाना और जनता को इस बात के लिये जागरूक करना कि नीतियों को आकार देने तथा तैयार करने में सांख्यिकी किस तरह सहायक है।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारत में आधुनिक सांख्यिकी का जनक माना जाता है, उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute- ISI) की स्थापना की, योजना आयोग को आकार दिया (जिसे 1 जनवरी, 2015 को नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया) और बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण के लिये कार्यप्रणाली का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने रैंडम सैंपलिंग की विधि का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण करने तथा परिकलित रकबे/पहले से अनुमानित क्षेत्रफल और फसल पैदावार का आकलन करने हेतु नवीन तकनीकों की शुरुआत की। उन्होंने 'फ्रैक्टाइल ग्राफिकल एनालिसिस' नामक एक सांख्यिकीय पद्धति भी तैयार की, जिसका उपयोग विभिन्न समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बीच तुलना करने के लिये किया जाता है।