कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1(12-July-2023)
त्रिपुरा की केर पूजा
(Ker Puja of Tripura)

Posted on July 17th, 2023 | Create PDF File

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केर पूजा त्रिपुरा राज्य में मनाया जाने वाला एक धार्मिक उत्सव है।

 

इसमें संरक्षक ईष्ट, जिन्हें केर कहा जाता है, की पूजा की जाती है।

 

यह खर्ची पूजा के कुछ दिनों बाद मनाया जाता है।

 

यह उत्सव मुख्य रूप से अगरतला में मनाया जाता है।

 

त्योहार के दिन शहर के प्रवेश द्वार पर ताला लगा दिया जाता है और क्षेत्र में बाहरी क्षेत्रों के लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित होता है।

 

खर्ची पूजा :

 

इसे '14 देवताओं के त्योहार' के रूप में भी जाना जाता है, इस पारंपरिक कार्यक्रम में त्रिपुरा के लोगों के पैतृक देवता, चतुर्दश देवता (प्राचीन उज्जयंत महल में स्थित) की पूजा शामिल है।

 

त्योहार के दौरान त्रिपुरा के लोग अपने 14 देवताओं के साथ-साथ पृथ्वी की भी पूजा करते हैं। 

 

इस त्योहार में एक महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान में चतुर्दश मंडप का निर्माण शामिल है, यह एक संरचना है जो त्रिपुरी राजाओं के शाही महल का प्रतीक है।

 

पूजा के दिन 14 देवताओं को "चंताई" (शाही पुजारी) के सदस्यों द्वारा "सैदरा" नदी पर ले जाया जाता है। देवताओं को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और वापस मंदिर में लाया जाता है।

 

इतिहास :  

 

'खर्ची' शब्द दो त्रिपुरी शब्दों से बना है- 'खर' या खरता जिसका अर्थ है पाप और 'ची' या सी जिसका अर्थ है सफाई। 

 

हालाँकि यह आदिवासी मूल का त्योहार है, यह त्रिपुरा के आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों लोगों द्वारा मनाया जाता है।

 

ऐसा माना जाता है कि देवी माँ या त्रिपुरा सुंदरी, भूमि की अधिष्ठात्री देवी है, जो त्रिपुरा के लोगों की रक्षा करती है, जून माह में अंबुबाची के समय मासिक धर्म से गुज़रती हैं।

 

लोक मान्यता है कि देवी के मासिक धर्म के दौरान पृथ्वी अशुद्ध हो जाती है।

 

इसलिये मासिक धर्म समाप्त होने के बाद पृथ्वी को स्वच्छ करने के लिये अनुष्ठान द्वारा लोगों के पापों को धोने के लिये खर्ची पूजा की जाती है।