अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (8-July-2019)
ईरान ने यूरेनियम संवर्धन करार सीमा से 4.5 फीसदी ज्यादा किया (Iran raises uranium enrichment by 4.5 percent more than contract limit)

Posted on July 8th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

ईरान का यूरेनियम संवर्धन स्तर सोमवार को 4.5 फीसदी के पार पहुंच गया जो 2015 में हुए परमाणु करार में तय सीमा से ज्यादा है। ईरानी परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रवक्ता बहरोज कमालवंदी ने यह जानकारी दी।

 

अर्धसरकारी समाचार एजेंसी आईएसएनए के मुताबिक कमालवंदी ने कहा, “आज सुबह ईरान ने यूरेनियम संवर्धन के 4.5 फीसदी के स्तर को पार कर लिया...इस स्तर की शुद्धता देश के ऊर्जा संयंत्रों की ईंधन जरूरतों को पूरी तरह संतुष्ट करती है।”

 

उन्होंने एक संकेत भी दिया कि फिलहाल ईरान संवर्धन के इस स्तर पर टिका रह सकता है।

 

ईरान ने रविवार को कहा था कि वह 2015 में हुए करार में तय की गई 3.7 फीसद की संवर्धन सीमा का अब पालन नहीं करेगा। इसे दूसरे पक्षों पर दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

 

ईरान और छह अन्य विश्व शक्तियों के बीच हुए करार से मई 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग हो गए थे और उसके बाद से इस्लामिक गणराज्य के महत्वपूर्ण तेल और वित्तीय उद्योगों समेत कई क्षेत्रों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिये गए थे।

 

ईरान की मांग थी कि परमाणु कार्यक्रम को सीमित रखने के बदले दूसरे पक्ष - फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और रूस - वादे के मुताबिक ईरान के आर्थिक लाभ के लिये कदम उठाएं।

 

अमेरिकी प्रतिबंधों में जकड़ा ईरान यूरोपीय पक्ष की तरफ से आर्थिक रूप से मदद के लिये कार्रवाई न किये जाने से व्यथित है। उसके मुताबिक एक साल का “रणनीतिक धैर्य” अब समाप्त हो रहा है।

 

वहीं, ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ ने तेहरान के इस कदम पर “बेहद चिंता” जाहिर की है।

 

यूरोपीय संघ की प्रवक्ता माजा कोसीजैनसिस ने संवाददाताओं को बताया, “हम ईरान से ऐसी सभी गतिविधियों को तत्काल रोकने का अनुरोध करते हैं जो जेसीपीओए के तहत की गई प्रतिबद्धताओं के असंगत हैं।”

 

उन्होंने कहा, “यूरेनियम संवर्धन को लेकर हम ईरान द्वारा सप्ताहांत में की गई घोषणा से बेहद चिंतित हैं।”

 

इस बीच मास्को से मिली खबरों के मुताबिक रूस ने ईरान द्वारा 2015 के परमाणु करार सीमा से ज्यादा स्तर पर यूरेनियम संवर्धन पर चिंता व्यक्त की है।

 

रूस के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने सोमवार को कहा कि करार को बचाने के लिये उनका देश कूटनीतिक दबाव डालेगा।

 

पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा, “स्थिति स्वाभाविक रूप से चिंताजनक है।”

 

उन्होंने कहा कि ईरान की घोषणा अमेरिका द्वारा इस करार से हटने के “परिणामों” में से एक है। उन्होंने कहा, “रूस का लक्ष्य कूटनीतिक मोर्चे पर बातचीत और प्रयास जारी रखना है। हम अब भी जेसीपीओए (परमाणु करार) के समर्थक हैं।”

 

पेस्कोव ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने करार में शामिल देशों में से एक देश के इस करार से अलग हटने के परिणामों को लेकर आगाह भी किया था।