अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (5-June-2019)
भारत ने एचआईवी/एड्स से निपटने के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थैरेपी कवरेज बढ़ाने की अपील की (India appeals to increase antiretroviral therapy coverage to combat HIV / AIDS)

Posted on June 5th, 2019 | Create PDF File

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एड्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्ण साझीदार भारत ने जीवन भर चलने वाली एंटीरेट्रोवायरल थेरैपी (एआरटी) की आवश्यकता कम करने के लिए नई दवाइयां एवं उपचार पद्धतियां विकसित करने और निदान में सुधार के लिए अनुसंधान तेज करने के प्रयासों पर बल देने की अपील की है।

 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने ‘एचआईवी/एड्स पर राजनीतिक घोषणा और एचआईवी/एड्स संबंधी प्रतिबद्धता की घोषणा के क्रियान्वयन’ पर महासभा के सत्र में सोमवार को कहा, ‘‘एचआईवी/एड्स बीमारी के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि एचआईवी/एड्स को 2030 तक जनस्वास्थ्य को खतरे के तौर पर दूर करने के हमारे रास्ते में बड़ी चुनौतियां बनी हुईं हैं।’’

 

उन्होंने कहा कि एचआईवी/एड्स को वैश्विक स्तर पर समझने, उसके उपचार एवं रोकथाम में काफी प्रगति हुई है, लेकिन ‘‘अब भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने और अहम क्षेत्रों में अनुसंधान को तेज करने का समय आ गया है। इन अहम क्षेत्रों में एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाने के लिए बेहतर निदान मुहैया कराना, एआरटी कवरेज बढ़ाना, दवाइयां और नई उपचार पद्धतियां विकसित करना शामिल है ताकि जीवन भर चलने वाली एआरटी की आवश्यकता कम की जा सके और एचआईवी संक्रमण के नए मामलों को रोका जा सके।’’

 

त्रिपाठी ने कहा कि 2020 तक 90:90:90 का वैश्विक त्वरित उपचार लक्ष्य हासिल करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साक्ष्य आधारित एवं लक्षित रणनीतियां बनाने की आवश्यकता है। 90:90:90 के वैश्विक त्वरित उपचार लक्ष्य का अर्थ है कि 2020 तक 90 प्रतिशत एचआईवी संक्रमित लोगों का पता लगाया जाए, 90 प्रतिशत संक्रमित लोगों को एंटीरेट्रोवायरल थेरैपी मुहैया कराई जाए और जिनका उपचार किया जा रहा है, उनमें से 90 प्रतिशत का वायरल रोका जा सके।

 

भारतीय औषधीय उद्योग वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली करीब दो तिहाई एंटीरेट्रोवायरल दवाइयों की आपूर्ति करता है।

 

उन्होंने कहा कि भारत ने एचआईवी/एड्स के रोकथाम की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है और ऐसा सूचना, शिक्षा एवं संवाद मुहिम तेज करने, नीतियां बनाने और सेवाएं मुहैया कराने में एचआईवी संक्रमित समुदायों, लोगों की संलिप्तता के कारण संभव हो पाया।