राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (28-Mar-2019)
प्रख्यात साहित्यकार और सामजिक कार्यकर्त्ता रमणिका गुप्ता का निधन (Eminent literary and social worker Ramnikika Gupta passes away)

Posted on March 28th, 2019 | Create PDF File

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प्रख्यात साहित्यकार और सामजिक कार्यकर्त्ता रमणिका गुप्ता का दिल्ली में 89 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया।

 

वह साहित्य, समाजसेवा और राजनीति सहित कई क्षेत्रों से जुड़ी हुई थीं।

 

उन्होंने स्त्री विमर्श पर बेहतरीन काम किया और वह सामाजिक सरोकारों की पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ की संपादक भी थीं।

 

उन्होंने झारखंड के हज़ारीबाग के कोयलांचल से मजदूर आंदोलनों को साहित्य के ज़रिये राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने का काम किया।

 

बिहार विधानसभा और विधान परिषद् में विधायक रही रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘हादसे और आपहुदरी’ बेहद लोकप्रिय पुस्तक मानी जाती है।

 

इसके अलावा, उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘भीड़ सतर में चलने लगी है’, ‘तुम कौन’, ‘तिल-तिल नूतन’, ‘मैं आजाद हुई हूं’, ‘अब मूरख नहीं बनेंगे हम’, ‘भला मैं कैसे मरती’, ‘आदम से आदमी तक’, ‘विज्ञापन बनते कवि’, ‘कैसे करोगे बँटवारा इतिहास का’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘निज घरे परदेसी’, ‘सांप्रदायिकता के बदलते चेहरे’, ‘कलम और कुदाल के बहाने’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘दलित चेतना- साहित्यिक और सामाजिक सरोकार’, ‘दक्षिण- वाम के कठघरे’ और ‘दलित साहित्य’, ‘असम नरसंहार-एक रपट’, ‘राष्ट्रीय एकता’, ‘विघटन के बीज’ शामिल हैं।