विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समसामियिकी 1 (22-Oct-2020)^कोविरैप (COVIRAP)
Posted on October 22nd, 2020
आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) ने COVID-19 की जाँच के लिये कोविरैप (COVIRAP) नामक एक नए डायग्नोस्टिक परीक्षण की खोज की है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) ने इस टेस्ट की प्रभावकारिता को मान्यता प्रदान की है।कोरोना के खिलाफ जंग में यह एक बड़ी उपलब्धि सिद्ध हो सकती है।
कोविरैप में तापमान नियंत्रित करने की यूनिट, जीनोमिक एनालिसिस (Genomic Analysis) के लिये स्पेशल डिटेक्शन यूनिट और परिणाम प्राप्ति हेतु एक अनुकूलित स्मार्टफोन एप संलग्न है।ये तीनों उपकरण विभिन्न जीनों को चिह्नित करके SARS-CoV-2 की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं।एकत्र किये गए नमूने जब दिये गए मिश्रण के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और जब पेपर स्ट्रिप्स को प्रतिक्रिया उत्पादों में डुबोया जाता है, तो रंगीन रेखाएँ वायरस की उपस्थिति का संकेत देती हैं।इस प्रौद्योगिकी का ICMR के दिशा-निर्देशों के अनुसार कठोर प्रोटोकॉल के अधीन परीक्षण किया गया है।
जहाँ वर्तमान परीक्षणों में आरटी-पीसीआर, जो कि अत्यधिक सटीक है, के लिये एक उन्नत प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है, वहीं एंटीजन परीक्षण मिनटों में परिणाम दे सकते हैं, लेकिन उनकी सटीकता कम होती है।वहीं COVIRAP टेस्ट की प्रक्रिया एक घंटे के भीतर पूरी हो जाती है। यह परीक्षण एक कम लागत वाले पोर्टेबल उपकरण द्वारा आयोजित किया जाता है जिसे प्रयोगशाला के बाहर अकुशल ऑपरेटरों द्वारा भी आयोजित किया जा सकता है और यह उच्च लागत वाली RTPCR मशीनों का एक विकल्प है।
इसके माध्यम से खुले क्षेत्र में भी नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। इस टेस्ट में एक ही मशीन का उपयोग प्रत्येक परीक्षण के बाद पेपर कार्ट्रिज (Paper Cartridge) बदल कर बड़ी संख्या में परीक्षणों के लिये किया जा सकता है।इस टेस्ट मशीन का क्षेत्र बहुत व्यापक है, जिसका अर्थ है कि यह COVID-19 से परे भी इन्फ्लूएंजा, मलेरिया, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस, टीबी आदि बीमारियों के परीक्षण के साथ-साथ ‘आइसोथर्मल न्यूक्लिक एसिड-आधारित परीक्षण’ (Isothermal Nucleic Acid-based Tests) भी कर सकता है।
भारत ने 20 अक्तूबर, 2020 तक 9.72 करोड़ नमूनों का परीक्षण किया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय की गई (प्रतिदिन प्रति मिलियन जनसंख्या पर 140 परीक्षण) सीमा को पूरा कर रहा है।हालाँकि नए मामलों में प्रतिदिन गिरावट आ रही है परंतु विशेषज्ञों ने कहा है कि उन क्षेत्रों में ऐसे स्थानों तक परीक्षण सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये जहाँ प्रतिदिन 140/मिलियन से कम परीक्षण किये जाते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समसामियिकी 1 (22-Oct-2020)कोविरैप (COVIRAP)
आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) ने COVID-19 की जाँच के लिये कोविरैप (COVIRAP) नामक एक नए डायग्नोस्टिक परीक्षण की खोज की है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) ने इस टेस्ट की प्रभावकारिता को मान्यता प्रदान की है।कोरोना के खिलाफ जंग में यह एक बड़ी उपलब्धि सिद्ध हो सकती है।
कोविरैप में तापमान नियंत्रित करने की यूनिट, जीनोमिक एनालिसिस (Genomic Analysis) के लिये स्पेशल डिटेक्शन यूनिट और परिणाम प्राप्ति हेतु एक अनुकूलित स्मार्टफोन एप संलग्न है।ये तीनों उपकरण विभिन्न जीनों को चिह्नित करके SARS-CoV-2 की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं।एकत्र किये गए नमूने जब दिये गए मिश्रण के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और जब पेपर स्ट्रिप्स को प्रतिक्रिया उत्पादों में डुबोया जाता है, तो रंगीन रेखाएँ वायरस की उपस्थिति का संकेत देती हैं।इस प्रौद्योगिकी का ICMR के दिशा-निर्देशों के अनुसार कठोर प्रोटोकॉल के अधीन परीक्षण किया गया है।
जहाँ वर्तमान परीक्षणों में आरटी-पीसीआर, जो कि अत्यधिक सटीक है, के लिये एक उन्नत प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है, वहीं एंटीजन परीक्षण मिनटों में परिणाम दे सकते हैं, लेकिन उनकी सटीकता कम होती है।वहीं COVIRAP टेस्ट की प्रक्रिया एक घंटे के भीतर पूरी हो जाती है। यह परीक्षण एक कम लागत वाले पोर्टेबल उपकरण द्वारा आयोजित किया जाता है जिसे प्रयोगशाला के बाहर अकुशल ऑपरेटरों द्वारा भी आयोजित किया जा सकता है और यह उच्च लागत वाली RTPCR मशीनों का एक विकल्प है।
इसके माध्यम से खुले क्षेत्र में भी नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। इस टेस्ट में एक ही मशीन का उपयोग प्रत्येक परीक्षण के बाद पेपर कार्ट्रिज (Paper Cartridge) बदल कर बड़ी संख्या में परीक्षणों के लिये किया जा सकता है।इस टेस्ट मशीन का क्षेत्र बहुत व्यापक है, जिसका अर्थ है कि यह COVID-19 से परे भी इन्फ्लूएंजा, मलेरिया, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस, टीबी आदि बीमारियों के परीक्षण के साथ-साथ ‘आइसोथर्मल न्यूक्लिक एसिड-आधारित परीक्षण’ (Isothermal Nucleic Acid-based Tests) भी कर सकता है।
भारत ने 20 अक्तूबर, 2020 तक 9.72 करोड़ नमूनों का परीक्षण किया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय की गई (प्रतिदिन प्रति मिलियन जनसंख्या पर 140 परीक्षण) सीमा को पूरा कर रहा है।हालाँकि नए मामलों में प्रतिदिन गिरावट आ रही है परंतु विशेषज्ञों ने कहा है कि उन क्षेत्रों में ऐसे स्थानों तक परीक्षण सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये जहाँ प्रतिदिन 140/मिलियन से कम परीक्षण किये जाते हैं।