आतंरिक सुरक्षा समसामयिकी (22-Oct-2020)^भारत में साइबर सुरक्षा अब शीर्ष कॉरपोरेट प्राथमिकता: अध्ययन^(Cyber security now top corporate priority in India: study)
Posted on October 22nd, 2020
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर ‘घर से काम’ में तेजी आयी है। हालांकि इसके साथ ही साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां भी काफी बढ़ गयी हैं। इसके चलते भारत में अब साइबर सुरक्षा सर्वोच्च कॉरपोरट प्राथमिकता बन गयी है। एक अध्ययन में यह कहा गया है।
सिस्को के हालिया अध्ययन ‘फ्यूचर ऑफ सिक्योर रिमोट वर्क रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत के 73 प्रतिशत संगठनों को कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से साइबर हमलों अथवा चेतावनी में 25 प्रतिशत या इससे अधिक तेजी देखने को मिल रही है। इस अध्ययन में यह भी पता चला है कि अधिकांश भारतीय कंपनियां कार्यबल को कार्यालय से इतर काम करने की सुविधा प्रदान करने के लिये तैयार नहीं थी।
सिस्को ने कहा कि करीब 65 प्रतिशत कंपनियों ने कोविड-19 के मद्देनजर घर से काम में सहजता के लिये साइबर सुरक्षा के उपायों को अपनाया है।
यह अध्ययन दुनिया भर में सूचना प्रौद्योगिकी के संबंध में निर्णय लेने वाले तीन हजार से अधिक लोगों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इनमें भारत समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र के 13 बाजारों के 19 सौ से अधिक लोग शामिल हैं।
आतंरिक सुरक्षा समसामयिकी (22-Oct-2020)भारत में साइबर सुरक्षा अब शीर्ष कॉरपोरेट प्राथमिकता: अध्ययन(Cyber security now top corporate priority in India: study)
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर ‘घर से काम’ में तेजी आयी है। हालांकि इसके साथ ही साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां भी काफी बढ़ गयी हैं। इसके चलते भारत में अब साइबर सुरक्षा सर्वोच्च कॉरपोरट प्राथमिकता बन गयी है। एक अध्ययन में यह कहा गया है।
सिस्को के हालिया अध्ययन ‘फ्यूचर ऑफ सिक्योर रिमोट वर्क रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत के 73 प्रतिशत संगठनों को कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से साइबर हमलों अथवा चेतावनी में 25 प्रतिशत या इससे अधिक तेजी देखने को मिल रही है। इस अध्ययन में यह भी पता चला है कि अधिकांश भारतीय कंपनियां कार्यबल को कार्यालय से इतर काम करने की सुविधा प्रदान करने के लिये तैयार नहीं थी।
सिस्को ने कहा कि करीब 65 प्रतिशत कंपनियों ने कोविड-19 के मद्देनजर घर से काम में सहजता के लिये साइबर सुरक्षा के उपायों को अपनाया है।
यह अध्ययन दुनिया भर में सूचना प्रौद्योगिकी के संबंध में निर्णय लेने वाले तीन हजार से अधिक लोगों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इनमें भारत समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र के 13 बाजारों के 19 सौ से अधिक लोग शामिल हैं।