स्वास्थ्य समसामियिकी 1 (27-Jan-2021)^कोविड-19 हेतु भारत बायोटेक की एकल खुराक इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154^(Bharat Biotech single dose intranasal vaccine for COVID-19, BBV154)
Posted on January 27th, 2021
भारत बायोटेक की ‘BBV154’, इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन हासिल करने के लिए पहला प्रचारित प्रयास है।
आमतौर पर, टीकों के लिए मांसपेशियों अथवा त्वचा और तवचा की निचले भाग के बीच स्थित उतकों में सुई/ इंजेक्शन के माध्यम से लगाया जाता है। हालांकि, इंट्रानेजल (Intranasal) टीकों के लिए, इंजेक्शन से लगाने के बजाय, नथुनों में स्प्रे किया जाता है अथवा नाक से भीतर की ओर खींचा जाता है।
इस प्रकार के टीके न केवल वैक्सीन के वितरण और इसके लगाए जाने में आने वाली बाधाओं, जैसे कि, टीका लगाने वाली सुइओं का उत्पादन तथा इनका वितरण, को दूर करते है बल्कि नाक, मुंह तथा फेफड़ों के उतकों में पाए जाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं के समूहों को सक्रिय करने में सक्षम होते हैं। इंट्रानेजल वैक्सीन, सिरिंज, सुइयों और अल्कोहल स्वाब्स जैसे अन्य उपकरणों जरूरत को कम करते हैं। यह सुई लगने से होने वाले जख्मों और संक्रमण की आशंका दूर करते है और इन टीकों को रोगी के लिए दिया जाना भी आसान होता है, क्योंकि इसके लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की भी आवश्यकता नहीं होती है। इन टीकों की केवल ‘एक-खुराक’ (single-dose) दी जाती है, जिससे टीका लगवाने वालों के लिए सुगमता हो जाती और उन्हें कोविड-19 के लिए इंजेक्शन से दिए जाने वाले मौजूदा टीकों की दूसरी खुराक, बूस्टर शॉट्स के लिए दोबारा चिकित्सा अथवा सुविधा केंद्र पर नहीं जाना पड़ता है।
खसरा फ्लू सहित अन्य बीमारीयों के लिए ‘इंट्रानेजल वैक्सीन’ अर्थात नाक से दिए जाने वाले टीका विकसित करने के पिछले प्रयास बहुत सफल नहीं रहे हैं। अधिकांशतः ये टीके जीवित एवं कमजोर विषाणुओं का उपयोग करके बनाए गए हैं, लेकिन कभी भी नैदानिक परीक्षण को पास नहीं कर सके। टीकाकरण की इस विधि के तहत अब तक केवल एक जीवित क्षीणीकृत इन्फ्लूएंजा फ्लू (attenuated influenza flu) वैक्सीन को लाइसेंस दिया गया है।
स्वास्थ्य समसामियिकी 1 (27-Jan-2021)कोविड-19 हेतु भारत बायोटेक की एकल खुराक इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154(Bharat Biotech single dose intranasal vaccine for COVID-19, BBV154)
भारत बायोटेक की ‘BBV154’, इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन हासिल करने के लिए पहला प्रचारित प्रयास है।
आमतौर पर, टीकों के लिए मांसपेशियों अथवा त्वचा और तवचा की निचले भाग के बीच स्थित उतकों में सुई/ इंजेक्शन के माध्यम से लगाया जाता है। हालांकि, इंट्रानेजल (Intranasal) टीकों के लिए, इंजेक्शन से लगाने के बजाय, नथुनों में स्प्रे किया जाता है अथवा नाक से भीतर की ओर खींचा जाता है।
इस प्रकार के टीके न केवल वैक्सीन के वितरण और इसके लगाए जाने में आने वाली बाधाओं, जैसे कि, टीका लगाने वाली सुइओं का उत्पादन तथा इनका वितरण, को दूर करते है बल्कि नाक, मुंह तथा फेफड़ों के उतकों में पाए जाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं के समूहों को सक्रिय करने में सक्षम होते हैं। इंट्रानेजल वैक्सीन, सिरिंज, सुइयों और अल्कोहल स्वाब्स जैसे अन्य उपकरणों जरूरत को कम करते हैं। यह सुई लगने से होने वाले जख्मों और संक्रमण की आशंका दूर करते है और इन टीकों को रोगी के लिए दिया जाना भी आसान होता है, क्योंकि इसके लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की भी आवश्यकता नहीं होती है। इन टीकों की केवल ‘एक-खुराक’ (single-dose) दी जाती है, जिससे टीका लगवाने वालों के लिए सुगमता हो जाती और उन्हें कोविड-19 के लिए इंजेक्शन से दिए जाने वाले मौजूदा टीकों की दूसरी खुराक, बूस्टर शॉट्स के लिए दोबारा चिकित्सा अथवा सुविधा केंद्र पर नहीं जाना पड़ता है।
खसरा फ्लू सहित अन्य बीमारीयों के लिए ‘इंट्रानेजल वैक्सीन’ अर्थात नाक से दिए जाने वाले टीका विकसित करने के पिछले प्रयास बहुत सफल नहीं रहे हैं। अधिकांशतः ये टीके जीवित एवं कमजोर विषाणुओं का उपयोग करके बनाए गए हैं, लेकिन कभी भी नैदानिक परीक्षण को पास नहीं कर सके। टीकाकरण की इस विधि के तहत अब तक केवल एक जीवित क्षीणीकृत इन्फ्लूएंजा फ्लू (attenuated influenza flu) वैक्सीन को लाइसेंस दिया गया है।