पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1 (4-June-2021)
आठवां वैश्विक नाइट्रोजन सम्मेलन
(8th Global Nitrogen Conference)

Posted on June 4th, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

3-7 मई 2020 को आठवें ‘अंतर्राष्ट्रीय नाइट्रोजन पहल सम्मेलन’ (International Nitrogen Initiative Conference- INI2020), का आयोजन जर्मनी के बर्लिन में किया जाना निर्धारित था। किंतु, महामारी के कारण इसे पिछले साल रद्द कर दिया गया था और हाल ही में, इसे आभासी-प्रारूप में आयोजित किया गया।

 

‘अंतर्राष्ट्रीय नाइट्रोजन पहल सम्मेलन’ के बारे में:

इस पहल की स्थापना, ‘पर्यावरण समस्याओं पर वैज्ञानिक समिति’ (Scientific Committee on Problems of the Environment – SCOPE) और ‘अंतर्राष्ट्रीय भूमंडल-जैवमंडल कार्यक्रम’ (International Geosphere-Biosphere Program – IGBP) की प्रायोजकता में वर्ष 2003 में की गई थी।

 

यह एक त्रैवार्षिक आयोजन है, जिसमें कृषि, उद्योग, यातायात, मृदा, जल और वायु में प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन यौगिकों संबंधी शोधों में लगे संपूर्ण विश्व से वैज्ञानिक भाग लेते हैं।

 

उद्देश्य: प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन के भविष्यत समग्र प्रबंधन में सुधार हेतु नीति निर्माताओं और परिणामों, विचारों और दृष्टिकोण संबंधी अन्य प्रासंगिक हितधारकों के बीच जानकारी और अनुभवों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।

 

यह कार्यक्रम, वर्तमान में ‘फ्यूचर अर्थ’ नामक संगठन का एक सतत भागीदार है।

 

एक आवश्यक पोषक तत्व के रूप में नाइट्रोजन:

नाइट्रोजन, वातावरण में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है, तथा अधिकांश पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण बृहत् पोषक (Macronutrient) तत्व होती है।

 

पृथ्वी पर के वायुमंडल में पाई जाने वाली शुष्क हवा में नाइट्रोजन की मात्रा 78% से कुछ अधिक होती है। किंतु यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन, या डाईनाइट्रोजन (dinitrogen) अक्रियाशील होती है, और पादपों द्वारा इसका सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता है।

 

इसलिए नाइट्रोजन स्थिर करने वाले राइजोबिया (rhizobia) जैसे जीवाणु, पौधों और मृदा के लिए ‘अमोनिया’ और ‘नाइट्रेट’ जैसे प्रतिक्रियाशील यौगिकों के रूप में नाइट्रोजन प्रदान करते हैं। नाइट्रोजन-स्थिर करने वाले जीवाणु, फलीदार पौधों के साथ सहजीवी रूप से रहते हैं।

 

नाइट्रोजन, पोषक तत्व से प्रदूषक में किस प्रकार बदल जाता है और यह स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करता है?

कृषि-भूमि से निस्सृत होने वाले नाइट्रोजन यौगिकों ने दुनिया भर में जल-प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है, जबकि उद्योग, कृषि और वाहनों से होने वाले नाइट्रोजन उत्सर्जन का वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान होता है।

 

मृदा में उपस्थित नाइट्रोजन की 80% से अधिक मात्रा का मानव द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है। जबकि चार बटा पांच भाग से अधिक नाइट्रोजन का उपयोग पशुओं को खिलाने के लिए किया जाता है। मांसाहारी भोजन के माध्यम से केवल छह प्रतिशत नाइट्रोजन ही मनुष्यों तक पहुंचती है, जबकि शाकाहारी भोजन के माध्यम से लगभग 20% नाइट्रोजन का मनुष्यों द्वारा उपभोग किया जाता है।

 

जब नाइट्रोजन पर्यावरण में निर्मुक्त होकर पहुँचती है, और अन्य कार्बनिक यौगिकों के साथ अभिक्रिया करती है तो यह प्रदूषक में परिवर्तित हो जाती है। प्रदूषक के तौर पर नाइट्रोजन, या तो वायुमंडल में विमोचित की जाती है, नदियों, झीलों या भूजल आदि जल स्रोतों में घुल जाती है, या मृदा में बनी रहती है।

 

नाइट्रोजन प्रदूषण का पर्यावरण पर प्रभाव:

 

यह जलमार्गों और महासागरों में हानिकारक शैवाल के पैदा होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है; ये शैवाल ल विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करते हैं जो मानव और जलीय जीवों के लिए हानिकारक होते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से तटीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन और जैव विविधता को प्रभावित करते हैं।

 

पेय-जल संदूषण: यूरोप में 10 मिलियन लोग संभावित रूप से, नाइट्रेट सांद्रता के अनुशंसित स्तर से अधिक मात्रा वाले, पेय-जल के संपर्क में रहते हैं। इसका मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

 

खाद्य सुरक्षा: नाइट्रोजन उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से मृदा के पोषक तत्वों में कमी आती है। चूंकि दुनिया को लगातार बढ़ती आबादी के लिए अधिक मात्रा में खाद्यान्नों की जरूरत है, अतः कृषि योग्य भूमि का नुकसान एक प्रमुख वैश्विक समस्या है।

 

नाइट्रस ऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।