विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 1(20-June-2022)
5G स्पेक्ट्रम की नीलामी
(5G Spectrum Auction)

Posted on June 20th, 2022 | Create PDF File

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हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी का रास्ता साफ कर दिया है।

 

स्पेक्ट्रम नीलामी से लाभ :

 

नए मार्ग : नीलामी और बोली लगाने के लिए निर्धारित नियमों से, गहरी पैठ, पहुंच और समृद्ध उपयोगकर्ता अनुभव के नए रास्ते खुलेंगे।

 

सौंप देने का विकल्प (Option of surrender): ऑपरेटरों को, बिना किसी देनदारी के 10 साल बाद ‘स्पेक्ट्रम सरेंडर’ करने की छूट होगी।

 

व्यापक विकल्प : सभी बैंडों में स्पेक्ट्रम की व्यापक उपलब्धता से संभावित बोली प्रदाताओं को अपनी रणनीति के अनुसार ‘स्पेक्ट्रम बैंड’ और ‘क्वांटम’ चुनने में मदद मिलेगी।

 

कैप्टिव 5G नेटवर्क से लाभ : कैप्टिव नेटवर्क डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देगा और उद्योग की क्षमता में वृद्धि करेगा तथा अधिक आर्थिक लाभ की ओर अग्रसर करेगा।

 

मिलीमीटर-वेवबैंड : मिलीमीटर-वेवबैंड (Millimetre-waveband) की नीलामी, न केवल 5जी की ‘वास्तविक’ क्षमता को अनलॉक करने में मदद करेगी, बल्कि ऑपरेटरों के लिए रणनीतिक रूप से लागत का प्रबंधन करने में भी मदद करेगी।

 

‘स्पेक्ट्रम नीलामी’ :

 

स्पेक्ट्रम नीलामी (Spectrum Auction) प्रक्रिया के तहत, सरकार विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विशिष्ट बैंडो पर सिग्नलों को प्रसारित करने के अधिकार बेचने और दुर्लभ स्पेक्ट्रम संसाधनों व्यावसायिक समूहों को सौपनें के लिए नीलामी पद्धति का उपयोग करती है।

 

भारत में स्पेक्ट्रम की नीलामी :

 

सेलफोन और तार की लाइन वाले टेलीफोन जैसे उपकरणों को परस्पर एक दूसरे से जुड़ने के लिए संकेतों (Signals) की आवश्यकता होती है।

 

ये सिग्नल वायु-तरंगो (Airwaves) पर कार्य करते हैं तथा बाधा-रहित संचरण के लिए इन संकेतों को निर्दिष्ट आवृत्तियों पर भेजा जाता है।

 

देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी परिसंपत्तियों पर केंद्र सरकार का स्वामित्व होता है, इसमें वायुतरंगे एयरवेव भी शामिल होती हैं।

 

सेलफोन, वायरलाइन टेलीफोन और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि होने के साथ ही समय-समय पर इन संकेतों को अधिक स्थान दिए जाने की आवश्यकता होती है।

 

इन संकेतो के प्रसारण हेतु अवसंरचना निर्माण करने की इच्छुक कंपनियों के लिए इन परिसंपत्तियों को बेचने हेतु केंद्र सरकार दूरसंचार विभाग (DoT) के माध्यम से समय-समय पर वायुतरंगों की नीलामी करती है।

 

इन वायुतरंगों को स्पेक्ट्रम कहा जाता है। ये स्पेक्ट्रम अलग-अलग आवृत्तियों वाले बैंड्स में उप-विभाजित होते हैं।

 

इन सभी वायुतरंगों को एक निश्चित अवधि के लिए बेचा जाता है। आम तौर पर यह अवधि 20 वर्ष निर्धारित की जाती है, तथा अवधि पूरी होने के बाद इनकी वैधता समाप्त हो जाती है।