कोविड संक्रमण से सुरक्षा देगी वायरसिडल कोटिंग
(Virucidal coating to prevent COVID transmission)

Posted on April 23rd, 2020 | Create PDF File

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फरीदाबाद स्थित क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र (आरसीबी) के डॉ. अविनाश बजाज की अगुआई में शोधकर्ताओं के एक दल ने कोविड-19 के संक्रमण से बचाने वाली वायरसिडल (ऐसा तत्व जिसमें वायरस को नष्ट करने या उसे निष्क्रिय करने की क्षमता होती है) कोटिंग बनाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है।

 

यह अध्ययन ट्रांसलेश्नल हैल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी संस्थान के डॉ. मिलन सुरजीत और डिपार्टमेंट ऑफ टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी, आईआईटी, दिल्ली के डॉ. सम्राट मुखोपाध्याय के सहयोग से किया जा रहा है। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने यूनेस्को के संरक्षण में क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र (आरसीबी) की स्थापना की थी।

 

डॉ. बजाज के समूह को रोगाणुरोधी अणुओं को तैयार करने में विशेषज्ञता हासिल है, जो चुनिंदा सूक्ष्मजीवों की झिल्लियों को लक्षित कर सकते हैं। इस कार्य में समूह अपनी विशेषज्ञता के दम पर ऐसे अणुओं का विकास करेगा, जो कोविड-19 वायरल कणों की झिल्लियों को निशाना बनाएगा। इन कणों से ऐसी वायरसिडल कोटिंग तैयार की जाएगी, जिसे ग्लास, प्लास्टिक और कॉटन, नायलॉन तथा पॉलिस्टर जैसे कपड़ों पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे वायरल संक्रमण को रोकना संभव होगा।

 

महामारी से लड़ाई के एक अन्य प्रयास में केन्द्र के प्रोफेसर दीपक टी नायर की अगुआई वाला एक शोध समूह एनएसपी12 नाम के प्रोटीन की गतिविधि को रोकने का तरीका खोजने पर काम कर रहा है, जो सार्स-सीओवी-2 वायरस के आरएनए जीनोम के दोहराव के लिए जिम्मेदार आरएनए पर निर्भर आरएनए पॉलिमरेज गतिविधि को संभव बनाता है।

 

समूह ने एनएसपी 12 प्रोटीन की त्रि-आयामी संरचना का होमोलॉजी मॉडल तैयार करने के लिए कम्प्यूटेशन टूल का उपयोग किया है। इस मॉडल को एनएसपी12 प्रोटीन के संभावित अवरोधकों की पहचान के लिए उपयोग किया जाता था। अध्ययन अनुमान लगाता है कि क्या विटामिन बी12 के मिथाइलकोबालैमिन रूप को एनएसपी12 प्रोटीन की सक्रिय साइट से जोड़ा और उसकी गतिविधियों को बाधित किया जा सकता है। समूह अब इस परिकल्पना की पुष्टि के लिए आगे प्रयोग कर रहा है।

 

समूह ने उच्च प्रवाह क्षमता की प्लेट एसेस विकसित करने के लिए एनएसपी12 प्रोटीन के शुद्धीकरण की दिशा में भी प्रयास शुरू किए हैं, जिसे प्रोटीन के विभिन्न अवरोधकों की पहचान में उपयोग किया जा सकता है। इन अवरोधकों का सार्स-सीओवी-2 वायरस के लिए दवा के विकास के लिए प्रमुख कणों के रूप में उपयोग किये जाएगा।

 

इसके अलावा कम्प्यूटेशन टूल्स के उपयोग के सार्स-सीओवी-2 से दो अन्य प्रोटीन के संभावित अवरोधकों की पहचान की दिशा में प्रयास जारी हैं। इनमें एनएसपी14 और एनएसपी13 शामिल हैं।

 

जीनोम में क्षेत्रों की पहचान के लिए सार्स-सीओवी-2 की उपलब्ध जीनोम श्रेणियों का विश्लेषण भी किया जा रहा है, जिससे उनका आकार निर्धारित किया ज सकता है और जीनोम के ट्रांसलेशन या दोहराव को रोकने के लिए छोटे कणों से लक्षित किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के लिए एक दवा की खोज की दिशा मे आरसीबी के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

 

इसके अलावा केन्द्र के वैज्ञानिकों का एक समूह एसएचसी शाइन बायोटेक की डॉ. प्रियंका मौर्या के साथ कोविड-19 का पता लगाने के लिए उच्च संवेदनशील, त्वरित, प्वाइंट टू केयर, कम संसाधन वाली, कलरमीट्रिक और किफायती जांच विकसित करने पर काम कर रहा रहा है। बायोहैवन के डॉ. शैलेंद्र व्यास के साथ एक समूह जांच आधारित आरटी पीसीआर डायग्नोस्टिक किट पर काम कर रहा है। इसके अलावा एक तीसरा समूह इन्नोडीएक्स के डॉ. संदीप वर्मा के साथ एक त्वरित मॉलिक्युर डायग्नोस्टिक किट और एनजीआईवीडी के डॉ. सुरेश ठाकुर के साथ चौथा समूह पीसीआर आधारित इन-विट्रो डायग्नोस्टिक किट्स पर काम कर रहा है।