आयनमंडलीय इलेक्ट्रॉन घनत्व की पूर्व सूचना देने वाले नए मॉडल से संचार/नौवहन में मिल सकती है सहायता
(New model to predict ionospheric electron density can help communication/navigation)

Posted on April 20th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जिओमैग्नेटिज्म (आईआईजी), नवी मुंबई के शोधकर्ताओं ने संचार और नौवहन के लिए अहम माना जाने वाला व्यापक डाटा कवरेज के साथ आयनोस्फेरिक (आयनमंडलीय) इलेक्ट्रॉन घनत्व की पूर्व सूचना देने वाला एक वैश्विक मॉडल विकसित किया है।

 

डॉ. वी साई गौतम ने आईआईजी के अपने शोध पर्यवेक्षक डॉ. एस तुलसीराम के साथ दीर्घकालिक आयनमंडलीय अवलोकन का उपयोग करते हुए एक नए प्रकार का वैश्विक आयनमंडलीय मॉडल पर आधारित आर्टीफिशियल न्यूरल नेटवर्क (एएनएनआईएम) विकसित किया है, जिससे आयनमंडलीय इलेक्ट्रॉन घनत्व की पूर्व सूचना दी जाएगी और उच्च मापदंडों का अनुमान लगाया जाएगा।

 

एएनएन पैटर्न की पहचान, वर्गीकरण, क्लस्टरिंग, सामान्यीकरण, रैखिक और गैर रैखिक डाटा फिटिंग और टाइम सीरीज के अनुमान जैसी समस्याओं के समाधान के लिए मानव मस्तिष्क (या जैविक न्यूरॉन्स) में होने वाली प्रक्रियाओं की जगह लेता है। अभी तक एएनएन के उपयोग से वैश्विक आयनमंडलीय परिवर्तनशीलता मॉडल तैयार करने की दिशा में बेहद कम प्रयास किए गए हैं।

 

संचार और नौवहन के लिए आयनमंडलीय परिवर्तनशीलता की निगरानी काफी अहम है। आयनमंडलीय परिवर्तनशीलता व्यापक स्तर पर सौर उत्पन्न और तटस्थ वातावरण में पैदा होने वाली प्रक्रियाओं दोनों के द्वारा प्रभावित होती है, इसलिए इसे मॉडल के रूप में स्वीकार किया जाना मुश्किल है। वैज्ञानिकों ने सैद्धांतिक और अनुभवजन्य तकनीकों के उपयोग से आयनमंडलीय मॉडल विकसित करने की कोशिश की है; हालांकि इलेक्ट्रॉक घनत्व का सटीक अनुमान लगाना अभी तक चुनौतीपूर्ण कार्य बना हुआ है।

 

हाल के वर्षों में आर्टीफिशियल न्यूरल नेटवर्क्स (एएनएन) ने ज्यादा जटिल और गैर रैखिक समस्याओं की देखरेख की संभावनाओं का प्रदर्शन किया है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए वैश्विक आयनमंडलीय अवलोकन का उपयोग करते हुए आयनमंडलीय मॉडल विकास में आईआईजी के दल द्वारा एक नया मशीन लर्निंग दृष्टिकोण अपनाया गया।

 

शोधकर्ताओं ने लगभग दो दशक के वैश्विक डिजिसॉन्डे (एक साधन जो रेडियो फ्रीक्वेंसी पल्सेस भेजकर रियल टाइम आधार पर आयनमंडल के इलेक्ट्रॉन घनत्व का आकलन करता है), ग्लोबल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) रेडियो प्रच्छादन और ऊपरी स्तर पर ध्वनि अवलोकन (साउंडर्स ऑब्जर्वेशन) के व्यापक डाडाबेस के उपयोग के द्वारा एक न्यूरल नेटवर्क आधारित वैश्विक आयनमंडलीय मॉडल विकसित किया है। ये डाटाबेस कृत्रिम डाटा बिंदुओं (बाहरी) को हटाने के लिए विभिन्न गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के साथ तैयार किए गए हैं और इनका उद्देश्य प्रशिक्षण देना है। दिन की संख्या, सार्वभौमिक समय, अक्षांश, देशांतर, एफ10.7 सूचकांक (फोटो आयनीकरण के लिए जिम्मेदार), केपी (इससे अशांत अंतरिक्ष मौसम स्थितियों का पता चलता है), चुंबकीय झुकाव, रुझान, निचला अक्षांश, दक्षिणी तटस्थ हवाओं जैसे इनपुट्स को अध्ययन में शामिल किया गया है। एएनएन का लक्ष्य (आउटपुट) किसी भी स्थान और समय के लिए लंबवत रूप में इलेक्ट्रॉन घनत्व है। एएनएनआईएम विकसित करने के लिए आईआईजी में उच्च क्षमता वाले कम्प्यूटर के उपयोग से एएनएन के साथ डाटा तैयार किया गया था।

 

आईआईजी दल द्वारा जारी एएनएनआईएम पूर्व सूचना का इलेक्ट्रॉन घनत्व अवलोकन में असंगत रडार और उपग्रह के साथ मिलान किया गया। इसके अलावा एनएनआईएम ने आयनमंडल की विसंगतियों को पुनः सफलतापूर्वक पेश किया। एएनएनआईएम ने भू-चुंबकीय तूफानों जैसे अशांत मौसम अवधि के दौरान आयनमंडल की सामान्य रूपात्मक विशेषताओं को भी दर्ज किया, जब सूर्य से पैदा होने वाले चुंबकीय बादल (कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के रूप में जाना जाता है) पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर से परस्पर संपर्क में आते हैं।

 

आईआईजी शोधकर्ताओं द्वारा विकसित मॉडल को आयनमंडलीय अनुमानों में एक संदर्भ मॉडल के रूप में उपयोग किया जा सकता है और इसमें ग्लोबल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पोजिशनिंग खामियों की गणना में प्रयोग होने की पूरी क्षमताएं हैं।