अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (20-May-2020)^राहत पैकेज आर्थिक सुधार में बैंकों को अग्रणी भूमिका के साथ शामिल करने में विफल रहा: सतीश मराठे^(Stimulus package fails to involve banks as frontline warriors in economic revival: Satish Marathe)
Posted on May 20th, 2020
भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित राहत पैकेज आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में बैंकों को शामिल करने में विफल रहा है।
आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, राहत पैकेज ‘‘कल्पनाशील और भविष्य की ओर देखने वाला’’ है, हालांकि ये आर्थिक सुधार में बैंकों को अग्रणी भूमिका के साथ शामिल करने में विफल रहा।
सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अर्थव्यवस्था की मदद के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के बाद कई उपायों की घोषणा की थी।
मराठे ने रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के शोध विश्लेषकों के एक नजरिए को साझा किया, जिसमें इस पैकेज से मिलने वाले तात्कालिक फायदों के बारे में संदेह जताया गया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित ऋण स्थगन के लिए तीन महीने की मोहलत पर्याप्त नहीं है। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र के हितों के लिए कुछ सुझाव भी दिए, जिसमें एनपीए और प्रावधान में छूट शामिल है।
मराठे ने कहा कि इन सभी बातों को प्रोत्साहन पैकेज में शामिल करना चाहिए, ताकि भारत को एक बार फिर विकास पथ पर लाया जा सके। मराठे सहकारी बैंकिंग के साथ करीब से जुड़े रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि उद्योग संगठन भी आरबीआई से ऋण स्थगन, एनपीए और प्रावधान जैसे पहलुओं पर छूट देने की मांग कर रहे हैं।
अनुमानों के मुताबिक प्रोत्साहन पैकेज का राजकोषीय प्रभाव जीडीपी के मुकाबले 1-2 प्रतिशत तक हो सकता है, जबकि मोदी ने कहा था कि ये पैकेज जीडीपी के मुकाबले 10 प्रतिशत तक होगा। हालांकि, विश्लेषकों ने कहा है कि इन घोषणाओं और खासतौर से सुधारों का लंबे समय में अच्छा सकारात्मक असर होगा।
अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (20-May-2020)राहत पैकेज आर्थिक सुधार में बैंकों को अग्रणी भूमिका के साथ शामिल करने में विफल रहा: सतीश मराठे(Stimulus package fails to involve banks as frontline warriors in economic revival: Satish Marathe)
भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित राहत पैकेज आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में बैंकों को शामिल करने में विफल रहा है।
आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, राहत पैकेज ‘‘कल्पनाशील और भविष्य की ओर देखने वाला’’ है, हालांकि ये आर्थिक सुधार में बैंकों को अग्रणी भूमिका के साथ शामिल करने में विफल रहा।
सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अर्थव्यवस्था की मदद के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के बाद कई उपायों की घोषणा की थी।
मराठे ने रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के शोध विश्लेषकों के एक नजरिए को साझा किया, जिसमें इस पैकेज से मिलने वाले तात्कालिक फायदों के बारे में संदेह जताया गया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित ऋण स्थगन के लिए तीन महीने की मोहलत पर्याप्त नहीं है। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र के हितों के लिए कुछ सुझाव भी दिए, जिसमें एनपीए और प्रावधान में छूट शामिल है।
मराठे ने कहा कि इन सभी बातों को प्रोत्साहन पैकेज में शामिल करना चाहिए, ताकि भारत को एक बार फिर विकास पथ पर लाया जा सके। मराठे सहकारी बैंकिंग के साथ करीब से जुड़े रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि उद्योग संगठन भी आरबीआई से ऋण स्थगन, एनपीए और प्रावधान जैसे पहलुओं पर छूट देने की मांग कर रहे हैं।
अनुमानों के मुताबिक प्रोत्साहन पैकेज का राजकोषीय प्रभाव जीडीपी के मुकाबले 1-2 प्रतिशत तक हो सकता है, जबकि मोदी ने कहा था कि ये पैकेज जीडीपी के मुकाबले 10 प्रतिशत तक होगा। हालांकि, विश्लेषकों ने कहा है कि इन घोषणाओं और खासतौर से सुधारों का लंबे समय में अच्छा सकारात्मक असर होगा।