बांग्लादेश के 'राष्ट्रपिता' बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किये जा रहे बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘शांतिर ओग्रोशेना-2021’ (शांति का फ्रंट रनर) में भारतीय सेना हिस्सा लेगी, यह सैन्य अभ्यास बांग्लादेश की आज़ादी के 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
भारतीय सेना की टुकड़ी में डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन के अधिकारी, जूनियर कमीशन अधिकारी और जवान शामिल हैं, जो 4 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2021 तक रॉयल भूटान आर्मी, श्रीलंकाई सेना और बांग्लादेश सेना की टुकड़ी के साथ अभ्यास में भाग लेंगे।
इस सैन्य अभ्यास के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, कुवैत और सिंगापुर के सैन्य पर्यवेक्षक भी उपस्थित रहेंगे।
वर्ष 2021 बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ और शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी का प्रतीक है।
भारत और बांग्लादेश के निकट संबंधों को प्रतिबिंबित करने और वर्ष 1971 के युद्ध की 50वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिये भारत कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।
16 दिसंबर, 1971 को लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना और ‘मुक्ति बाहिनी’ की संयुक्त सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और इसी आत्मसमर्पण से बांग्लादेश के जन्म का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
ज्ञात हो कि हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री भी बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे।
बांग्लादेश के 'राष्ट्रपिता' बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किये जा रहे बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘शांतिर ओग्रोशेना-2021’ (शांति का फ्रंट रनर) में भारतीय सेना हिस्सा लेगी, यह सैन्य अभ्यास बांग्लादेश की आज़ादी के 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
भारतीय सेना की टुकड़ी में डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन के अधिकारी, जूनियर कमीशन अधिकारी और जवान शामिल हैं, जो 4 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2021 तक रॉयल भूटान आर्मी, श्रीलंकाई सेना और बांग्लादेश सेना की टुकड़ी के साथ अभ्यास में भाग लेंगे।
इस सैन्य अभ्यास के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, कुवैत और सिंगापुर के सैन्य पर्यवेक्षक भी उपस्थित रहेंगे।
वर्ष 2021 बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ और शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी का प्रतीक है।
भारत और बांग्लादेश के निकट संबंधों को प्रतिबिंबित करने और वर्ष 1971 के युद्ध की 50वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिये भारत कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।
16 दिसंबर, 1971 को लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना और ‘मुक्ति बाहिनी’ की संयुक्त सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और इसी आत्मसमर्पण से बांग्लादेश के जन्म का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
ज्ञात हो कि हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री भी बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे।