पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (28 -Sept-2020)
सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (Sandalwood Spike Disease- SSD)

Posted on September 28th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

भारत में सैंडलवुड अर्थात् चंदन के वृक्ष विनाशकारी सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (Sandalwood Spike Disease- SSD) के कारण एक गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं।सैंडलवुड अर्थात् चंदन के वृक्षों को भारत विशेषकर कर्नाटक का गौरव माना जाता है।कर्नाटक एवं केरल में इन सुगंधित वृक्षों के प्राकृतिक आवास में सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ का संक्रमण फिर से फैल गया है। केरल के मरयूर (Marayoor) में चंदन के पेड़ों की प्राकृतिक आबादी और कर्नाटक में एमएम हिल्स (MM Hills) सहित विभिन्न आरक्षित वन, सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD) से बहुत अधिक संक्रमित हैं जिसका कोई इलाज नहीं है।वर्तमान में इस रोग के प्रसार को रोकने के लिये संक्रमित पेड़ को काटने एवं हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

 


सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD), फाइटोप्लाज़्मा (Phytoplasma) अर्थात् ‘पौधे के ऊतकों के जीवाणु परजीवी’ के कारण होता है जो कीट वैक्टर (Insect Vectors) द्वारा प्रेषित होते हैं। इस रोग के कारण प्रत्येक वर्ष 1 से 5% चंदन के पेड़ नष्ट हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इसके प्रसार को रोकने के लिये उपाय नहीं किये गए तो यह रोग चंदन के वृक्षों की पूरी प्राकृतिक आबादी को नष्ट कर सकता है।इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस संक्रमण को रोकने में देरी की गई तो यह बीमारी अपरिपक्व चंदन के वृक्षों में भी फैल सकती है।



वर्ष 1899 में कर्नाटक के कोडागु (Kodagu) ज़िले में पहली बार इस रोग के बारे में सूचना मिली थी। वर्ष 1903 से वर्ष 1916 के बीच कोडागु (Kodagu) एवं मैसूर क्षेत्र में एक मिलियन से अधिक चंदन के पेड़ हटा दिये गए।वर्ष 1907 में तत्कालीन मैसूर के महाराजा ने इस रोग का इलाज खोजने वाले को 10,000 का इनाम देने की घोषणा की थी। बाद में वर्ष 1917-1925 के दौरान इस रोग के कारण सलेम में भी 98,734 चंदन के पेड़ काट दिये गए।


चंदन के वृक्षों के प्राकृतिक आवासों में विनाशकारी रोग के कारण चंदन को वर्ष 1998 में IUCN की रेड लिस्ट में ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था।

 


वर्तमान में चंदन की प्राकृतिक आबादी केरल के मरयूर में और कर्नाटक में आरक्षित वनों एवं आसपास के क्षेत्रों के कुछ स्थानों में फैली हुई है। जो सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD) से बहुत अधिक संक्रमित हैं।


देश में एक सदी से अधिक समय से चंदन के उत्पादन में गिरावट का एक प्रमुख कारण सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD) रहा है।उत्पादन में कमी के कारण मुख्य रूप से 20% की दर से वर्ष 1995 से भारतीय चंदन एवं उसके तेल की कीमत में काफी वृद्धि हुई है।

 


भारत इत्र एवं फार्मास्यूटिकल्स के लिये चंदन के तेल उत्पादन का पारंपरिक देश रहा है। वर्ष 1792 की शुरुआत में, टीपू सुल्तान ने इसे मैसूर का 'रॉयल ​​ट्री' घोषित किया था।