अर्थव्यवस्था समसामियिकी 2 (26-Apr-2020)
कोविड-19 से पैदा हुए हालात से निपटने को बड़े राहत पैकेज दे रहे हैं दक्षेस देश
(SAARC countries are giving big relief package to deal with the situation created by covid-19)

Posted on April 26th, 2020 | Create PDF File

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दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के देश इस समय अपनी अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहन के लिए लगातार राहत पैकेज की घोषणा कर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी की वजह से दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां ठप हैं और लोग अपने घरों में बंद हैं। ऐसे में दक्षेस देश निवेश को प्रोत्साहन, निजी कंपनियों को राहत और आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए राहत पैकेज देने में जुटे हैं।

 

विश्वबैंक ने हाल में आगाह किया है कि इस जानलेवा महामारी की वजह से दक्षिण एशिया का आर्थिक प्रदर्शन पिछले 40 साल के सबसे निचले स्तर पर आ सकता है। हालांकि, कोविड-19 की मार दुनियाभर को झेलनी पड़ रही है।

 

विश्वबैंक ने सरकारों को सलाह दी है कि वे इस स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के उपायों में तेजी लाएं, अपने लोगों, विशेषरूप से गरीबों का बचाव करें और अर्थव्यवस्था की हालत को तेजी से सुधारने के लिए कदम उठाएं।

 

आठ सदस्य देशों के दक्षेस समूह में भारत 2,900 अरब डॉलर के साथ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत ने इस महामारी के मद्देनजर 1.7 लाख करोड़ रुपये (22.6 अरब डॉलर) का राहत पैकेज दिया है। भारत ने लॉकडाउन की वजह से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें गरीब वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को प्रत्यक्ष नकदी अंतरण, मुफ्त अनाज और रसोई गैस सिलेंडर का वितरण इत्यादि शामिल है।

 

इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती की है। साथ ही बाजार को एक लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराई है। तीन माह तक ऋण का भुगतान नहीं करने की भी सुविधा दी गई है। साथ ही सरकार ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता को छह से 12 माह तक स्थगित करने की घोषणा की है, जिससे कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी।

 

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने लॉकडाउन की घोषणा की थी। उस समय निजी क्षेत्र की ओर से हालांकि इसका मामूली विरोध किया गया था। लेकिन बंद लंबा खिंचने के साथ पाकिस्तान में कंपनियों और दुकानदारों में असंतोष बढ़ रहा है। उनका मानना है कि बंद लंबा खिंचने से उनके लिए टिके रह पाना संभव नहीं होगा।

 

उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने 1.2 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। इसके अलावा सरकार ने लघु एवं मझोले उपक्रमों के लिए अलग से 7,500 करोड़ रुपये का पैकेज दिया है।

 

खान ने कहा, ‘‘हमने विभिन्न कंपनियों को कर रिफंड के रूप में 20,000 करोड़ रुपये दिए हैं।’’ पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने मार्च में निजी क्षेत्र की मांग को पूरा करते हुए ब्याज दरों को 13.25 से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया है।

 

इसी तरह बांग्लादेश ने अपनी अर्थव्यवस्था को समर्थन के लिए 11.6 अरब डॉलर (करीब 986 अरब टका) का पैकेज दिया है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुक्रवार को कहा कि यह पैकेज हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 प्रतिशत के बराबर है। बांग्लादेश मुख्य रूप से अपने विनिर्माण और सेवा तथा कृषि क्षेत्र को उबारने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

 

बांग्लादेश के परिधान विनिर्माता और निर्यातक संघ का कहना है कि 3.2 अरब डॉलर के आर्डर रद्द या स्थगित हो चुके हैं। इससे 23 लाख श्रमिक प्रभावित हुए हैं।

 

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था भी कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुई है। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने 31 मार्च को बैंकों के लिए 25 करोड़ डॉलर की पुनर्वित्त सुविधा की घोषणा की है। श्रीलंका भारतीय रिजर्व बैंक के साथ 40 करोड़ डॉलर का मुद्रा अदला-बदली करार भी करने जा रहा है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत किया जा सकेगा।

 

नेपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष एसोसिएट उमेश लाल श्रेष्ठ ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां ठप होने से नेपाल के कारोबार क्षेत्र को करीब 1.25 अरब डॉलर का नुकसान होगा। कोविड-19 से नेपाल का पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

 

नेपाल के होटल संघ का कहना है कि 2020 में होटल कारोबार की आय 90 प्रतिशत घटेगी।

 

नेपाल सरकार ने 20 लाख पर्यटकों को आकर्षित करने के कार्यक्रम ‘विजिट नेपाल ईयर-2020’ को रद्द कर दिया है। सरकार ने राहत पैकेज की घोषण की है। इसमें बिजली पर 25 प्रतिशत की छूट शामिल है।

 

मालदीव सरकार ने 2.5 अरब मालदीव रुफिया (16.18 करोड़ डॉलर) के राहत पैकेज की घोषणा की है।

 

भूटान की अर्थव्यवस्था भी कोविड-19 की वजह से अपना सबसे बड़ा आर्थिक संकट झेल रही है। भूटान की आर्थिक वृद्धि दर में इस महामारी की वजह से एक से दो प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। सरकार चाहती है कि कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण जारी रहे।

 

अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था विदेशी सहायता और आयात पर निर्भर है। कोरोना वायरस की वजह से देश की पहले से संकट में चल रही अर्थव्यवस्था की स्थिति और खराब हुई है। अफगानिस्तान सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए 2.5 करोड़ डॉलर आवंटित किए है। वहीं विश्वबैंक ने देश के लिए 10.04 करोड़ डॉलर के अनुदान की घोषणा की है।