व्यक्ति विशेष समसामियिकी 1 (30-Jan-2020)^ जाने-माने शायर अजमल सुलतानपुरी का निधन^(Renowned shayar Ajmal Sultanpuri died)
Posted on January 30th, 2020
जाने-माने शायर अजमल सुलतानपुरी का बुधवार की शाम को लम्बी बीमारी के बाद सुलतानपुर के खैराबाद मोहल्ले में स्थित आवास पर निधन हो गया।
वह 97 वर्ष के थे।
अजमल सुलतानपुरी की रचना "कहां है मेरा प्यारा हिंदुस्तान, उसे मैं ढूंढ रहा हूँ" काफी चर्चित रही और उनकी गजलों ने जिले को एक अलग पहचान दिलाई है।
बीते छह जनवरी को वयोवृद्ध शायर अजमल सुलतानपुरी को शहर में स्थित करुणाश्रय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोमा में चले जाने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर उनके परिवार वाले उन्हें घर पर ले आये थे। बुधवार की शाम लगभग साढ़े सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की तरफ से उन्हें 'लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड' से नवाजा गया था। अजमल सुलतानपुरी होश संभालने के बाद से ही अपनी आर्थिक जीवन स्थितियों, समय और समाज की विसंगतियों से संघर्ष करते रहे। उनके गीतों में भारत की साझा संस्कृति और अवधी बोली बानी का स्वर सुनाई पड़ता है।
देश के कई बड़े शहरों के अलावा दुबई, कुवैत और सऊदिया में भी अपने गीतों तथा ग़ज़लों का परचम लहरा चुके अजमल का जन्म सुलतानपुर जिले के कुड़वार बाजार के निकट हरखपुर गांव में 1923 को एक साधारण परिवार में हुआ था। 1967 में गांव की कुछ सामाजिक बुराइयों का विरोध करने पर लोगों ने उनकी बुरी तरह पिटाई की थी।
व्यक्ति विशेष समसामियिकी 1 (30-Jan-2020) जाने-माने शायर अजमल सुलतानपुरी का निधन(Renowned shayar Ajmal Sultanpuri died)
जाने-माने शायर अजमल सुलतानपुरी का बुधवार की शाम को लम्बी बीमारी के बाद सुलतानपुर के खैराबाद मोहल्ले में स्थित आवास पर निधन हो गया।
वह 97 वर्ष के थे।
अजमल सुलतानपुरी की रचना "कहां है मेरा प्यारा हिंदुस्तान, उसे मैं ढूंढ रहा हूँ" काफी चर्चित रही और उनकी गजलों ने जिले को एक अलग पहचान दिलाई है।
बीते छह जनवरी को वयोवृद्ध शायर अजमल सुलतानपुरी को शहर में स्थित करुणाश्रय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोमा में चले जाने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर उनके परिवार वाले उन्हें घर पर ले आये थे। बुधवार की शाम लगभग साढ़े सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की तरफ से उन्हें 'लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड' से नवाजा गया था। अजमल सुलतानपुरी होश संभालने के बाद से ही अपनी आर्थिक जीवन स्थितियों, समय और समाज की विसंगतियों से संघर्ष करते रहे। उनके गीतों में भारत की साझा संस्कृति और अवधी बोली बानी का स्वर सुनाई पड़ता है।
देश के कई बड़े शहरों के अलावा दुबई, कुवैत और सऊदिया में भी अपने गीतों तथा ग़ज़लों का परचम लहरा चुके अजमल का जन्म सुलतानपुर जिले के कुड़वार बाजार के निकट हरखपुर गांव में 1923 को एक साधारण परिवार में हुआ था। 1967 में गांव की कुछ सामाजिक बुराइयों का विरोध करने पर लोगों ने उनकी बुरी तरह पिटाई की थी।