पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (1-July-2020)^राजाजी नेशनल पार्क और वन गुज्जर समुदाय ( Rajaji National Park and Van Gujjar community)
Posted on July 1st, 2020
उत्तराखंड में राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में वन गुज्जर समुदाय (Van Gujjar community) के लोगों ने आरोप लगाया है कि राज्य के वन विभाग के कम-से-कम छह अधिकारियों ने उनके डेरों (अस्थायी झोपड़ियों) को ध्वस्त करने की कोशिश की और उनका शारीरिक शोषण किया।
राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park):
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य में स्थित है। वर्ष 1983 में उत्तरांचल के राजाजी वन्यजीव अभयारण्य को मोतीचूर एवं चिल्ला वन्यजीव अभयारण्यों को संयुक्त करके राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (Rajaji National Park) बनाया गया।इस पार्क का नाम सी. राजगोपालाचारी (जिन्हें ‘राजाजी’ भी कहा जाता है) के नाम पर रखा गया है जो भारत के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं पहले गवर्नर जनरल थे।राजाजी राष्ट्रीय उद्यान 820.42 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।राजाजी नेशनल पार्क हिमालय की तलहटी में शिवालिक पर्वतमाला की निचली पहाड़ियों एवं तलहटी में अवस्थित है और यह शिवालिक पर्यावरण-प्रणाली (Shiwalik Eco-system) का प्रतिनिधित्व करता है।तीन अभयारण्यों (चिल्ला, मोतीचूर एवं राजाजी) को मिलाकर बनाया गया राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल, देहरादून एवं सहारनपुर ज़िलों में फैला हुआ है।
वन गुज्जर समुदाय (Van Gujjar community):
वन गुज्जर मूल रूप से एक खानाबदोश या यायावर जनजाति है। यह एक मुस्लिम समुदाय है। यह जनजाति मूल रूप से जम्मू एवं कश्मीर में निवास करती थी किंतु अपने मवेशियों के भोजन के लिये समृद्ध जंगलों एवं घास के मैदानों की तलाश में ये उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में भी पाई जाती है।वन गुज्जरों का जीवन अपने जानवरों की देखभाल करने पर केंद्रित है। ये हिमालय के तराई क्षेत्रों अर्थात् शिवालिक श्रेणी के वनों में सर्दियाँ बिताते हैं जहाँ रसीले पत्ते भैंसों के लिये भरपूर चारा उपलब्ध कराते हैं।प्रत्येक वन गुज्जर परिवार अपने स्वयं के अस्थायी बेस कैंप में रहता है जिसे टहनियों एवं कीचड़ से बनाया जाता है इसे ‘डेरा’ भी कहा जाता है।ये अपनी भैंसों को पानी पिलाने के लिये डेरों के पास ही छोटे गड्ढों का निर्माण भी करते हैं।प्रवास के दौरान एक वन गुज्जर परिवार में प्रत्येक सदस्य की जानवरों के साथ एक उचित परिभाषित भूमिका (उम्र के आधार पर) होती है अर्थात् वयस्क बड़े भैंस एवं घोड़ों के साथ चलते हैं जबकि बच्चे बछड़ों के साथ धीमी गति से चलते हैं।इनकी अपनी एक बोली है जिसे ‘गुज्जरी’ (Gujjari) कहा जाता है जो डोगरी एवं पंजाबी भाषाई का युग्मन है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (1-July-2020)राजाजी नेशनल पार्क और वन गुज्जर समुदाय ( Rajaji National Park and Van Gujjar community)
उत्तराखंड में राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में वन गुज्जर समुदाय (Van Gujjar community) के लोगों ने आरोप लगाया है कि राज्य के वन विभाग के कम-से-कम छह अधिकारियों ने उनके डेरों (अस्थायी झोपड़ियों) को ध्वस्त करने की कोशिश की और उनका शारीरिक शोषण किया।
राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park):
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य में स्थित है। वर्ष 1983 में उत्तरांचल के राजाजी वन्यजीव अभयारण्य को मोतीचूर एवं चिल्ला वन्यजीव अभयारण्यों को संयुक्त करके राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (Rajaji National Park) बनाया गया।इस पार्क का नाम सी. राजगोपालाचारी (जिन्हें ‘राजाजी’ भी कहा जाता है) के नाम पर रखा गया है जो भारत के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं पहले गवर्नर जनरल थे।राजाजी राष्ट्रीय उद्यान 820.42 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।राजाजी नेशनल पार्क हिमालय की तलहटी में शिवालिक पर्वतमाला की निचली पहाड़ियों एवं तलहटी में अवस्थित है और यह शिवालिक पर्यावरण-प्रणाली (Shiwalik Eco-system) का प्रतिनिधित्व करता है।तीन अभयारण्यों (चिल्ला, मोतीचूर एवं राजाजी) को मिलाकर बनाया गया राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल, देहरादून एवं सहारनपुर ज़िलों में फैला हुआ है।
वन गुज्जर समुदाय (Van Gujjar community):
वन गुज्जर मूल रूप से एक खानाबदोश या यायावर जनजाति है। यह एक मुस्लिम समुदाय है। यह जनजाति मूल रूप से जम्मू एवं कश्मीर में निवास करती थी किंतु अपने मवेशियों के भोजन के लिये समृद्ध जंगलों एवं घास के मैदानों की तलाश में ये उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में भी पाई जाती है।वन गुज्जरों का जीवन अपने जानवरों की देखभाल करने पर केंद्रित है। ये हिमालय के तराई क्षेत्रों अर्थात् शिवालिक श्रेणी के वनों में सर्दियाँ बिताते हैं जहाँ रसीले पत्ते भैंसों के लिये भरपूर चारा उपलब्ध कराते हैं।प्रत्येक वन गुज्जर परिवार अपने स्वयं के अस्थायी बेस कैंप में रहता है जिसे टहनियों एवं कीचड़ से बनाया जाता है इसे ‘डेरा’ भी कहा जाता है।ये अपनी भैंसों को पानी पिलाने के लिये डेरों के पास ही छोटे गड्ढों का निर्माण भी करते हैं।प्रवास के दौरान एक वन गुज्जर परिवार में प्रत्येक सदस्य की जानवरों के साथ एक उचित परिभाषित भूमिका (उम्र के आधार पर) होती है अर्थात् वयस्क बड़े भैंस एवं घोड़ों के साथ चलते हैं जबकि बच्चे बछड़ों के साथ धीमी गति से चलते हैं।इनकी अपनी एक बोली है जिसे ‘गुज्जरी’ (Gujjari) कहा जाता है जो डोगरी एवं पंजाबी भाषाई का युग्मन है।